उच्च न्यायालय ने बचाए गए बाल श्रमिकों को बकाया वेतन और वित्तीय सहायता पर निर्देश जारी किए
उच्च न्यायालय ने बचाए गए बाल श्रमिकों को बकाया वेतन और वित्तीय सहायता पर निर्देश जारी किए
नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बचाए गए बाल श्रमिकों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने और उनके बकाया वेतन की वसूली के लिए दिल्ली सरकार को कई निर्देश जारी किए हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि जब बचाए गए बाल श्रमिक को दिल्ली सरकार के बाल देखभाल या किशोर गृह में रखा जाता है, तो वित्तीय सहायता के हस्तांतरण के लिए नाबालिग का एक बचत बैंक खाता बाल देखभाल संस्थान के अधीक्षक या प्रभारी के साथ संयुक्त रूप से खोला जाएगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा कि यदि बच्चे के माता-पिता या अभिभावक का भविष्य में पता चलता है, तो सत्यापन के एक सप्ताह बाद सरकार द्वारा वित्तीय सहायता की राशि उन्हें हस्तांतरित कर दी जाएगी।
अदालत ने कहा कि यदि बचाए गए किसी बच्चे को उनके मूल स्थान पर वापस भेजा जाता है, तो यह जानकारी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के साथ साझा की जाएगी ताकि उसके बैंक खाते की जानकारी सुनिश्चित की जा सके और आवश्यक वित्तीय सहायता या बकाया वेतन हस्तांतरित किया जा सके।
इसमें कहा गया है कि जब बच्चा वयस्क हो जाए, तो बैंक को एक आवेदन जमा किया जाएगा और उसके बचत खाते को उसके व्यक्तिगत खाते के रूप में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
बकाया वेतन की वसूली के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि श्रम विभाग बच्चे को छुड़ाने के दो कार्य दिवसों के भीतर नियोक्ताओं को वसूली नोटिस जारी करेगा। इसने कहा कि न्यूनतम वेतन अधिनियम या वेतन भुगतान अधिनियम के तहत निरीक्षक आरोपी नियोक्ता/मालिक को बकाया वेतन जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय देगा।
अदालत ने कहा कि समयसीमा में राशि जमा नहीं करने की सूरत में निरीक्षक सीडब्ल्यूसी से इसे जुर्माने के रूप में वसूलने का अनुरोध करेगा।
अदालत ने दो बाल श्रमिकों के पिताओं द्वारा अपने बच्चों और इसी तरह के कई अन्य नाबालिगों के लिए वैधानिक वित्तीय सहायता के अनुरोध वाली दो याचिकाओं से निपटने के दौरान ये निर्देश पारित किए।
याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि लगभग 115 बचाए गए बच्चे हैं, जिन्हें अभी तक अपना बकाया वेतन नहीं मिला है।
भाषा शफीक माधव
माधव

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