नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को ऑनलाइन मंचों को एक न्यायिक अधिकारी और एक महिला का ‘‘अश्लील’’ वीडियो हटाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सोशल मीडिया पर वीडियो के प्रसार के खिलाफ प्रभावित पक्ष द्वारा दायर वाद में कार्यवाही बंद कर दी, और कहा कि यदि याचिकाकर्ता बाद में आपत्तिजनक सामग्री की मौजूदगी का उल्लेख करता है तो (ऑनलाइन) मंच पड़ताल करेंगे और उचित कदम उठाएंगे।
अदालत ने पूर्व में निर्देश दिया था कि प्रभावित पक्ष की पहचान गुप्त रखी जाए। याचिका में ‘‘9 मार्च, 2022 के कथित वीडियो’’ को उसी साल 29 नवंबर को प्रसारित किए जाने के बाद इस पर स्थायी रोक का अनुरोध किया गया था। पिछले साल 30 नवंबर को अदालत ने वीडियो को साझा करने और पोस्ट करने पर रोक लगा दी थी तथा विभिन्न ऑनलाइन मंच से यह सामग्री हटाने का निर्देश दिया था।
केंद्र सरकार ने बाद में सूचित किया था कि एक ‘‘अनुपालन हलफनामा’’ दाखिल किया गया है और फेसबुक और ट्विटर सहित सभी मंचों द्वारा कार्रवाई की गई है। अदालत में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वकील आशीष दीक्षित ने किया।
अंतरिम आदेश पारित करते हुए, अदालत ने कहा था कि वीडियो का प्रसार कई कानूनों का उल्लंघन है और याचिकाकर्ता के निजता के अधिकारों को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी। अदालत ने कहा था कि इसलिए, एक अंतरिम रोक आदेश जारी किया जाता है।
अदालत ने उल्लेख किया था कि उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने घटना का संज्ञान लिया और एक प्रस्ताव के अनुसार, इसके रजिस्ट्रार जनरल ने अधिकारियों को सभी आईएसपी, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के साथ-साथ सोशल मीडिया पर वीडियो को ब्लॉक करने के लिए उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता से अवगत कराया था।
भाषा आशीष सुभाष
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