नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) में आगामी ‘आईएचसी थिएटर फेस्टिवल’ में लिंग, जाति, सामाजिक भेदभाव, मानसिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दों से जुड़े कुल 14 नाटकों का मंचन किया जाएगा।
‘थिएटर फेस्टिवल’ की शुरुआत 19 सितंबर को अमितेश ग्रोवर के नाटक ‘मेहरून’ से होगी, जिसे सारा मरियम ने लिखा है। इच्छा और आकांक्षा की एक संगीतमय कथा, ‘मेहरून’ एक शोकसंतप्त महिला की कहानी है, जिसमें हकीकत और सपने के बीच की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं।
इस वर्ष के नाट्य कार्यक्रमों के बारे में आईएचसी की ‘क्रिएटिव हेड’ विद्युन सिंह ने कहा कि यह महोत्सव समकालीन भारतीय रंगमंच की एक जीवंत झलक पेश करता है – ‘‘ऐसा काम जो सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है’’।
सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘यह युवा, आत्मविश्वास से भरपूर कलाकारों को प्रदर्शित करता है जो सीमाओं को लांघ रहे हैं और रूढ़ियों को तोड़ रहे हैं, निडरता और संवेदनशीलता के साथ लिंग, जाति, सामाजिक भेदभाव, हिंसा, बेरोजगारी, मानसिक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के मुद्दों से जुड़ रहे हैं।’’
मेघना रॉय चौधरी द्वारा लिखित और निर्देशित ‘कादम्बरी’ नाटक रवींद्रनाथ टैगोर की प्रेरणा, विश्वासपात्र और भाभी की अंतरंग दुनिया और विरासत को बयां करता है, जबकि एंथनी शेफर का ‘स्लूथ’ से प्रेरित ‘सांप सीढ़ी’ यह बताता है कि अहंकार और इच्छा को संतुष्ट करने के लिए पुरुष किस हद तक जा सकते हैं।
महोत्सव के अन्य नाटकों में दत्ता पाटिल द्वारा लिखित और सचिन शिंदे द्वारा निर्देशित ‘दगड़ आणी माटी’, विजय अशोक शर्मा की लिखी और निर्देशित ‘बेशरम आदमी’, भूमिका दुबे द्वारा लिखित, निर्देशित एवं मंचित ‘केला जामुनवाली’, दुर्गा वेंकटेशन द्वारा लिखित, निर्देशित और मंचित ‘गरम रोटी’, आशिका सालवन द्वारा लिखित, निर्देशित और मंचित ‘आंटी मोक्सी इज डेलुलु’; अंगारिका गुहा, अनुशी अग्रवाल और एकता द्वारा रचित ‘लिफाफिया’ और ‘नजर के सामने’ शामिल हैं।
महोत्सव का समापन 28 सितंबर को विभु पुरी द्वारा लिखित और फैसल राशिद द्वारा निर्देशित ‘305 गली मंटोला’ के साथ होगा।
भाषा सुरभि पवनेश
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