Jammu Kashmir Snowfall News
Jammu Kashmir Snowfall News: जम्मू-कश्मीर में न सिर्फ ठंड के समय पर बल्कि सभी मौसम में यहां पर बर्फबारी होती रहती है लेकिन 2024 का पहला ही महीना जम्मू कश्मीर के लिए चिंता भरी खबर लेकर आया है। दरअसल, जनवरी के महीने में भी बर्फबारी की संभावना बहुत कम होने की वजह से लद्दाख का क्षेत्र संभावित सूखे जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहा है। कश्मीर मौसम विभाग के अनुसार 25 जनवरी तक इन क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की बहुत कम संभावना है। हालांकि, दो कमजोर पश्चिमी विक्षोभ आएंगे, लेकिन वो सिर्फ ऊंचे पहाड़ों पर थोड़ी बर्फबारी ही लाएंगे। जाहिर है कि इस महीने भी कश्मीर घाटी या लद्दाख में बर्फबारी नहीं होगी।
कश्मीर की गुरेज घाटी के तुलैल इलाके में शनिवार (13 जनवरी) की सुबह कुछ बर्फबारी हुई थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में केवल एक इंच से अधिक बर्फबारी हुई, लेकिन जनवरी के दौरान घाटी आमतौर पर 10-20 फीट तक बर्फ से ढकी हुई दिखाई देती थी, जो चिंता बढ़ा रही है।
मौसम विभाग की माने तो जनवरी के अंत तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कोई बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी नहीं की गई है। यहां अधिकतम तापमान भी 13-15 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो सामान्य से 10-12 डिग्री अधिक है। जबकि कश्मीर घाटी में अभी भी पानी की आपूर्ति को फिर से भरने के लिए अगले दो महीनों में कुछ बारिश और बर्फबारी की उम्मीद है। हालांकि, बर्फबारी नहीं होने के कारण श्रीनगर-कारगिल की तरफ लद्दाख से सड़क संपर्क खुला हुआ है, क्योंकि जोजिला दर्रे पर बर्फ नहीं है। आमतौर पर दिसंबर से 4-5 महीनों तक बर्फबारी के कारण यह रास्ता बंद रहता है।
जनवरी के दौरान इस क्षेत्र का तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज होने के कारण फल और सब्जियां बहुत अधिक ठोस हो जाती थीं, जिससे भंडारण करने और बेचने में मुश्किल हो जाती थी। लद्दाख के लोग इस बात से खुश हैं कि कम बर्फबारी के कारण सड़कें खुली हैं। वहीं जानकार उम्मीद से अधिक गर्म तापमान के कारण बागवानी और कृषि को बड़े नुकसान की चेतावनी दे रहे हैं।
कश्मीर मौसम विभाग के निदेशक की माने तो यहां मौसम के पैटर्न में बदलाव की वजह से फलों के पेड़ों में जल्दी फूल आ सकते हैं। इससे उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा क्योंकि अभी भी सर्दी है, इसके कारण किसी भी समय तापमान में अचानक गिरावट हो सकती है।
कश्मीर घाटी में कम या बिल्कुल बर्फबारी की सूचना नहीं मिलने से स्थानीय लोगों को कृषि, बागवानी और पेयजल आपूर्ति पर असर पड़ने का डर सताने लगा है। चिंता को बढ़ाने वाली बात यह है कि नदियों में पानी के बहाव में अनुमानित गिरावट आई है, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 100 फीसदी बिजली की आपूर्ति करने वाली जलविद्युत परियोजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। किसानों को आने वाले महीनों में कम या बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं होने का परिणाम भुगतना पड़ेगा। जब वे अपने बगीचों और खेतों में काम करना शुरू करेंगे तो गर्मियों में पानी की कमी होगी।
कश्मीर पर्यटकों के लिए एक बहुत ही पसंदीदा जगह रही है, लेकिन इस वर्ष कश्मीर की ठंडी वादियों का मजा लेने जाने वाले पर्यटकों को भी निराशा हाथ लगी है। गुलमर्ग में ही जो नजारा देखने को मिल रहा है वह काफी हैरान करने वाला है। यह सभी हालात स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पूरे पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी बताई जा रही है। जानकारों की माने तो यह सैकड़ों साल के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा नजारा दिखा है कि बर्फ की चादर ओढ़े रहने वाला कश्मीर अब बीरान सा नजर रहा है।