(मोना पार्थसारथी)
चेन्नई, छह दिसंबर (भाषा) सोलह नंबर की जर्सी पहने युवा गोलकीपर प्रिंसदीप सिंह ने बेल्जियम के खिलाफ शूटआउट में अहम गोल बचाया तो हॉकी प्रेमियों को पेरिस ओलंपिक 2024 में स्पेन के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में आखिरी दो मिनट में दो गोल बचाकर भारत को लगातार दूसरा ओलंपिक पदक दिलाने वाले पी आर श्रीजेश की यादें ताजा हो गई ।
श्रीजेश अब इसी जूनियर हॉकी टीम के कोच है जिसने बेल्जियम को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई जहां उसका सामना रविवार को सात बार की चैम्पियन जर्मनी से होगा ।
हॉकी इंडिया ने श्रीजेश के सम्मान में उनकी सोलह नंबर की जर्सी को पिछले साल हॉकी से उनके संन्यास के बाद रिटायर कर दिया था लेकिन जूनियर स्तर पर प्रिंसदीप ने यह जर्सी पहनी ।
क्वार्टर फाइनल में ‘प्लेयर आफ द मैच ’ रहे पंजाब के इस 21 साल के गोलकीपर ने भाषा से कहा ,‘‘ श्रीजेश सर से ही सब कुछ सीखा है जो बहुत सारी बारीकियां बताते हैं । इससे हमारी गलतियां पता चलती है । उन्होंने खचाखच भरे स्टेडियमों में खेलते हुए भारत को कई बार अहम मुकाबलों में जीत दिलाई है तो वह बताते हैं कि दबाव का सामना कैसे करना है ।’’
तोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने के बाद गोलपोस्ट पर चढकर बैठना हो या पेरिस में कांस्य जीतने के बाद मैदान पर अपने गोलकीपिंग उपकरणों के सामने नतमस्तक होना, मैदान पर श्रीजेश हमेशा ऊर्जावान रहे और खिलाड़ियों से संवाद बनाये रखते थे ।
यह पूछने पर कि क्या वह भी ऐसा करते हैं, प्रिंसदीप ने कहा ,‘‘गोलकीपर मैदान पर अक्सर अकेले रहता है लेकिन वह (श्रीजेश) हमेशा साथी खिलाड़ियों से बात करते रहते थे और उनका हौसला बढाते थे । मैं भी यही करने की कोशिश करता हूं । मैं जब चुप रहता हूं तो वह बोलते हैं कि बात करते रहा करो ताकि खेल में बने रहो ।’’
शूटआउट से पहले कितने नर्वस थे, यह पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘दिमाग में यही चल रहा था कि टीम के लिये गोल बचाना है। दबाव तो होता ही है कि इतने सारे दर्शकों के सामने खेल रहे हैं लेकिन पूरी टीम ने अच्छा प्रदर्शन करके एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी की ।’’
भाषा मोना
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