ENERGY CRISIS IN INDIA: दुनिया भर में ऊर्जा संकट गहराता जा रहा है, यहां तक कि आने वाले समय में घरेलू गैस से लेकर गाड़ियों में तेल डलवाले के लिए भी आपको जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। दुनिया भर के कई देशों में आए ऊर्जा संकट का असर भारत पर भी पड़ेगा। इसको देखते हुए भारत ने अभी से बड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। तो आइए समझते हैं कि आखिर ये एनर्जी क्राइसिस क्या है और इससे भारत कैसे बाहर निकल सकता है?
ENERGY CRISIS IN INDIA: यही नहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश हैं जिन्होंने एक बार फिर से कोयले पर वापस आने के संकेत दिए हैं। जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध पूरी तरह से बंद नहीं होता और स्थितियां सामान्य नहीं होतीं तब तक कोयले पर निर्भरता बनी रह सकती है। बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में गैस की सप्लाई निरंतर कम होती जा रही है और गैस की सप्लाई कम होने से यूरोप में उर्जा संकट पैदा हो गया है। यहां गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। दरअसल, यूरोप में रूस गैस की सप्लाई करने वाला देश है।
ENERGY CRISIS IN INDIA: यही नहीं हाल के समय में एनर्जी क्राइसिस का असर श्रीलंका, पाकिस्तान, चीन, जापान सहित अमेरिका जैसे देशों में देखने को मिला है। लिहाजा भारत को परेशानी न उठानी पड़े केंद्र सरकार ने इसके उपाय अभी से निकालने शुरू कर दिए हैं। अंग्रेजी अखबार लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) की तर्ज पर एक रणनीतिक गैस रिजर्व स्थापित करने की योजना बना रहा है।
ENERGY CRISIS IN INDIA: रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व को भरने के लिए मौजूदा तरलीकृत प्राकृतिक गैस टनल्स और समाप्त हो चुके तेल के कुओं का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। वहीं इस रणनीति के तहत अंडरग्राउंड बुनियादी ढांचा बनाने की भी योजना पर काम हो रहा है। वहीं, भारत के पास विशाखापत्तनम, मैंगलोर और पादुर में अंडरग्राउंड रणनीतिक तेल भंडार हैं, जहां 5.33 मिलियन टन मौजूद है।
ENERGY CRISIS IN INDIA: एक अधिकारी ने लाइव मिंट को बताया, सरकार की तरफ से अधिकारी इटली में इस तरह के बुनियादी ढांचे को देखने गए थे। अधिकारी ने आगे कहा, इस योजना को रोक दिया गया था क्योंकि सरकार को लगा था कि देश में शहरी गैस वितरण की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नेटवर्क, फर्टिलाइजर्स और रसोई गैस की क्षमता नहीं है। वहीं उर्वरक उद्योग, बिजली क्षेत्र, शहर गैस वितरण और इस्पात क्षेत्र भारत की ऊर्जा मांग के प्रमुख क्षेत्रों में से हैं।
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