राज्यसभा में विपक्ष ने सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की

राज्यसभा में विपक्ष ने सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की

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  • Publish Date - December 17, 2025 / 05:05 PM IST,
    Updated On - December 17, 2025 / 05:05 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की सीमा 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक का विरोध किया और इसे सदन की प्रवर समिति में भेजने की मांग की। वहीं सत्ता पक्ष ने इस विधेयक को समय की मांग बताते हुए कहा कि यह सोच-समझ कर और देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर लाया गया है।

उच्च सदन में सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025 के नाम पर कई सदस्यों ने आपत्ति जतायी और कहा कि इसमें हिन्दी और अंग्रेजी दोनों के शब्द हैं।

विधेयक पर उच्च सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने किसी भी कानून का दूर तक और असर होता है और सरकार को कानून बनाने के काम में गंभीरता दिखानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज सदन की संशोधित कार्य सूची में इस विधेयक का जिक्र नहीं था और पूरक कार्यसूची में इसका उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा कि पूर्वाह्न 11:00 बजे सदस्यों को बताया गया कि इस विधेयक पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विधेयक पर जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और व्यापक विचार विमर्श के लिए इसे प्रवर समिति में भेजा ना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी वक्त के साथ बदलाव की विरोधी नहीं रही है लेकिन उसका जोर मुनाफा कमाने पर नहीं बल्कि लोगों की सेवा पर रहा है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में चिंता इस बात की जाती थी कि लोगों के लिए क्या बदलाव जाए।

उन्होंने बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई का विरोध करते हुए कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि जब यह विधेयक लाया गया तो उस समय लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने मांग की थी कि विधेयक को स्थायी समिति में भेजा जाए। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने उस विधेयक पर विचार किया था।

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि उस समय भाजपा नेताओं का जो रुख था वह आज बदल गया है। उस समय भाजपा का कहना था कि एफडीआई बढ़ाने से राष्ट्र विरोधियों को ताकत मिलेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी कहा था कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई नहीं आने देंगे तो क्या यह उसका चुनावी जुमला था।

उन्होंने कहा कि सरकार पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) को आगे बढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रही है जबकि पीएसयू का ध्यान मुनाफा अर्जित करना नहीं बल्कि सेवा मुहैया कराना होता है। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई होगा तो भारतीय लोागों के पैन और आधार विदेशियों के पास होंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हमारा अर्थतंत्र हमारे हाथ में होना चाहिए लेकिन यह सरकार उसके उलटा काम कर रही है। उन्होंने कहा इस विधेयक से एलआईसी के सामने समस्या पैदा होगी और आम लोग भी प्रभावित होंगे।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा सदस्य अरुण सिंह ने कहा कि यह विधेयक सोच-समझ कर और देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद है- सब लोगों को बीमा मिले और बीमा सुविधा गांव-गांव तक पहुंचे।

उन्होंने कहा कि इससे कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी, लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेगी तथा बीमा घनत्व बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि देश की आबादी को देखते हुए कई बीमा कंपनियों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2014 में 53 कंपनियां थी और आज इनकी संख्या 74 है लेकिन इसके बाद भी यह संख्या कम है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष 100 प्रतिशत एफडीआई को लेकर भ्रम फैला रहा है। उन्होंने सपष्टीकरण देते हुए कहा कि नियम और नियंत्रण भारत के पास रहेगा तथा तमाम शीर्ष अधिकारी भारतीय होंगे व भारतीय बीमा नियामक का उन पर नियंत्रण होगा। इसके अलावा भारी पेनल्टी का भी प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह नए जमाने की जरूरत के हिसाब से लाया गया विधेयक है जिसमें साइबर सुरक्षा का भी प्रावधान किया गया है।

तृणमूल कांग्रेस सदस्य साकेत गोखले ने भी विधेयक के नाम पर आपत्ति जतायी। उन्होंने विधेयक को विस्तृत चर्चा के लिए स्थायी संसदीय समिति में भेजने की मांग करते हुए दावा किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गुमराह करने वाले बयान दिए हैं। उन्होंने वित्त मंत्री से स्पष्टीकरण देने की मांग की।

भाजपा सदस्य कणाद पुरकायस्थ ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे बीमा का दायरा बढ़ेगा और लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी।

द्रमुक सदस्य कनिमोझाी एनवीएम सोमू ने भी विधेयक के नाम पर आपत्ति जतायी और मांग की कि सरकार इस विधेयक को वापस ले या इसे प्रवर समिति में भेज दे।

वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी आला ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों के लागू होने से बीमा क्षेत्र का आधुनिकीकरण होगा और बीमा का दायरा बढ़ेगा। उन्होंने बीमा नियामक को मजबूत बनाने की मांग की।

बीजद के शुभाशीष खुंटिया ने भी विधेयक को स्थायी समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को देश का आधार स्तंभ बताते हुए कहा कि 100 प्रतिशत एफडीआई वाली कंपनियां संसद के प्रति जवाबदेह नहीं होंगी।

भाषा अविनाश माधव

माधव