तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने से खपत कम नहीं होगी, और उपाय जरूरी : विपक्षी सांसद

तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने से खपत कम नहीं होगी, और उपाय जरूरी : विपक्षी सांसद

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  • Publish Date - December 3, 2025 / 04:02 PM IST,
    Updated On - December 3, 2025 / 04:02 PM IST

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) तंबाकू उत्पादों पर कर बोझ समान रखने के लिए उत्पाद शुल्क लगाने से इनकी खपत पर ज्यादा असर नहीं पड़ने की दलील देते हुए विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को कहा कि सरकार को इनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए अन्य प्रयास करने होंगे और तंबाकू किसानों का भी ध्यान रखना होगा।

सदस्यों ने लोकसभा में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक को सदन में चर्चा और पारित करने के लिए रखा।

उन्होंने कहा कि तंबाकू और इसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त करने के बाद भी कर का बोझ समान रहेगा।

उन्होंने कहा कि 2017 में जीएसटी के प्रभाव में आने के बाद केंद्र सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था की थी जिसे अगले कुछ सप्ताह में बंद करना है और तंबाकू उत्पादों पर कर कम नहीं हो, इसलिए यह संशोधन लाया जा रहा है।

चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की डी पुरंदेश्वरी

ने कहा कि तंबाकू के कारण अनेक गैर-संक्रामक रोग होते हैं और हर साल 13.5 लाख लोगों की मौत धूम्रपान आदि के कारण हो जाती है।

उन्होंने कहा कि तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से इनकी कीमत बढ़ेगी और इनके उपयोग पर रोक लगेगी।

उन्होंने इससे राज्यों का राजस्व कम होने की चिंताओं को खारिज कर दिया। हालांकि, उन्होंने सरकार से देश के 60 लाख तंबाकू उत्पादक किसानों और बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के भविष्य की ओर ध्यान देने का अनुरोध किया।

पुरंदेश्वरी ने कहा कि कृषि और अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर इन किसानों को संरक्षण प्रदान किया जाए ताकि तंबाकू की खपत कम होने से उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं हो।

कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम ने जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त होने के बाद तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी आदि पर कर लगाने के लिए विधेयक लाने के सरकार के विचार से सहमति जताई, वहीं उन्होंने यह भी कहा कि दाम बढ़ने से खपत कम होने की धारणा गलत है। उन्होंने कहा कि इससे लोग नकली उत्पाद बनाने लगेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि वह सिगरेट आदि पर पूरी तरह पाबंदी के पक्ष में भी नहीं हैं, क्योंकि इस तरह के कदमों का कोई लाभ नहीं होता बल्कि कालाबाजारी शुरू हो जाती है।

कार्ति ने कहा कि जिन्हें इस तरह की चीजों के सेवन की लत होती है, वे कहीं से भी इन्हें पाने की कोशिश करते हैं।

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘हमें सावधानी से सोचना होगा। यह मुद्दा राजनीति से परे है। सरकारों ने तंबाकू उत्पादों से राजस्व बढाया है लेकिन इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।’’

उन्होंने भी तंबाकू किसानों की समस्या की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।

समाजवादी पार्टी के नरेश चंद्र पटेल ने कहा कि तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट पर नया उत्पाद शुल्क लगाने का फैसला सरकार ने गरीब किसानों और मजदूरों की स्थिति पर विचार किए बिना लिया है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने संसदीय क्षेत्र फतेहपुर में तंबाकू की खेती का जिक्र करते हुए कहा कि छोटे किसान और उद्यमी इस विधेयक से प्रभावित होंगे।

पटेल ने इसे जल्दबाजी में पारित नहीं करने और संसदीय स्थायी समिति को भेजने की मांग की।

उन्होंने यह भी कहा कि तंबाकू उत्पादों की कीमतें बढ़ने से लोगों का सस्ते उत्पादों की ओर रुझान बढ़ सकता है जिससे स्वास्थ्य सबंधी खतरे होंगे।

द्रमुक सांसद के. वीरास्वामी ने भी कहा कि कीमतें बढ़ने से लोग तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल करने के प्रति हतोत्साहित नहीं होंगे।

उन्होंने लोगों को धूम्रपान करने से रोकने के लिए कुछ विशेष कदमों की जरूरत बताई और संसदीय क्षेत्रों में या प्रखंड स्तर पर धूम्रपान मुक्ति केंद्र खोलने का सुझाव सरकार को दिया।

वीरास्वामी ने कहा कि ऐसे केंद्रों पर धूम्रपान करने वालों को निशुल्क उपचार और परामर्श दिया जाए जिससे दीर्घकालिक स्तर पर प्रभाव पड़ेगा।

जीएसटी परिषद ने तीन सितंबर, 2025 को तंबाकू और पान मसाला पर लिया गया कर्ज चुकाने तक मुआवजा उपकर जारी रखने का फैसला किया था।

विलासिता से जुड़ी अन्य वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर 22 सितंबर को समाप्त हो गया, जब जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने के लिए पांच और 18 प्रतिशत के केवल 2 स्लैब के साथ लागू किया गया था।

केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 यह सुनिश्चित करेगा कि क्षतिपूर्ति उपकर बंद होने के बाद तंबाकू और पान मसाला जैसी हानिकारक वस्तुओं पर कर की दर बनी रहें।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा