Oxford Word of the Year 2025: Rage Bait क्या है? ऑक्सफ़ोर्ड ने क्यों पहनाया इसे वर्ड ऑफ़ द ईयर 2025 का ताज? जान लें इसमें क्या है ऐसा ख़ास?

आज के डिजिटल युग में, इंटरनेट के ज़रिये कई चीज़ें बहुत ही तेज़ी से बढ़ रही हैं। इसी बीच जो एक शब्द 'रेज बेट' बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है आईये जानते हैं कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (OUP) ने 'Rage Bait' को क्यों चुना वर्ड ऑफ़ द ईयर 2025?

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  • Publish Date - December 5, 2025 / 04:28 PM IST,
    Updated On - December 5, 2025 / 04:28 PM IST

Oxford Word of the Year 2025/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • 2025 में आपका गुस्सा बढ़ा रहा है किसी और का बैंक बैलेंस!
  • Rage Bait: क्या ये आपके भी दिमाग को कंट्रोल कर रहा है?

Oxford Word of the Year 2025: वर्ष 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर है, परन्तु एक छोटा सा शब्द, जिसने पूरे इंटरनेट को झकझोर के रख दिया है “रेज बेट”! जहाँ दुनिया में डिजिटल क्रांति की लहर चरम सीमा पर है, वहीं इस “Rage Bait” शब्द ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। लोगों के भीतर सबसे पहला सवाल यही उठता है कि आख़िर यह “रेज बेट” है क्या? क्या है इसका मतलब? आईये जानते हैं विस्तार से..

Oxford Word of the Year 2025: “Rage Bait” (रेज बेट) क्या है?

यह शब्द “रेज” (गुस्सा) और “बेट” (चारा) अर्थात दिमाग पर गुस्से का हावी होना। आसान शब्दों में, यह ऑनलाइन दुनिया का ऐसा हथियार है जो जानबूझकर लोगों के इमोशंस को भड़काता है, जो उन्हें गुस्सा दिलाता हैं ताकि गुस्से को चारा बनाकर, ज्यादा समय के लिए लोग कमेंट बॉक्स में उलझे रहें, ताकि लोग इसे शेयर करें और कमैंट्स की बाढ़ आ जाए। यह शब्द “Rage Bait”, डिज़ाइन किया हुआ ऐसा कंटेंट है जो जानबूझकर लोगों को उकसाता है, भड़काता है और उनके गुस्से को चारा बनाकर एन्गेजमेन्ट के मज़े लेता है।

Oxford Word of the Year 2025: “Rage Bait” को क्यों चुना “वर्ड ऑफ़ द ईयर 2025”?

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (OUP) ने “रेज बेट” को “वर्ड ऑफ़ द ईयर” 2025 का ताज पहनाया। “Rage Bait” सिर्फ एक स्लैंग नहीं बल्कि हमारी डिजिटल दुनिया का आईना है। इंटरनेट का दौर जितनी तेज़ी से बदल रहा है उतनी ही तेज़ी से लोगों की आदतें भी बदलती जा रही हैं। इंटरनेट के ज़रिये, लोग खुलकर अपने विचार, अपनी बातें सामने रखने लगे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कुछ अलग तरह की ऑनलाइन सामग्री तेज़ी से फ़ैल रही है। ऐसी पोस्ट जो जानबूझकर लोगों को चिढ़ाने, भड़काने या फिर बहस का हिस्सा बनने के लिए डिज़ाइन की जाती है।

अब सामने वाले को आकर्षित करने के लिए कई लोग सिर्फ दिलचस्प पोस्ट ही नहीं बल्कि जानबूझकर ऐसा कंटेंट डालते हैं जिसे नाम दिया गया है “रेज बेट”, जो लोगों को भड़कता है, जिससे लोगों के इमोशंस बाहर आने लगते हैं फिर चाहे वो गुस्से के रूप में हो, नाराज़गी हो या गलत तरीके से पेश किए गए फैक्ट्स और या फिर विवाद खड़ा करने वाली वीडियो यां तसवीरें। ऐसी पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होती हैं क्यूंकि लोग गुस्से में आकर इस पर कमेंट करते हैं और ज्यादा से ज्यादा रिएक्शंस देते हैं।

रेज बेट को 2002 में पहली बार “फ्लेमबेट” के रूप में इस्तेमाल किया गया, यानि ‘ट्रोलिंग” का एक तरीका। Rage Bait ने ऑक्सफ़ोर्ड के 30000+ वोट्स से “AURA FARMING” और “BIOHACK” को भी पीछे छोड़कर सफलता हासिल की। एल्गोरिदम्स हमारा गुस्सा रिकॉर्ड करता है जिसके स्टेटिस्टिक के अनुसार 2024-25 में “रेज बेट” से जुड़े पोस्ट्स का इस्तेमाल तीन गुना ज्यादा बढ़ गया।

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रेज बेट और क्लिकबेट में क्या फर्क है?

क्लिकबेट आपको “जिज्ञासा” से लुभाता है (जैसे “ये देखकर आप चौंक जाएंगे!”)। रेज बेट आपको “गुस्सा” दिलाकर फंसाता है (जैसे “ये गलत है और तुम बेवकूफ हो अगर सहमत हो”)। रेज बेट 4-6 गुना ज्यादा एंगेजमेंट लाता है क्योंकि गुस्सा सबसे तेज़ वायरल इमोशन है।

रेज बेट और ट्रोलिंग में अंतर क्या है

ट्रोलिंग = मज़े के लिए तंग करना रेज बेट = पैसे + व्यूज के लिए सिस्टेमेटिक तरीके से गुस्सा भड़काना ट्रोल हार जाता है अगर आप इग्नोर करो, रेज बेटर जीत जाता है अगर आप इग्नोर भी करो (क्योंकि दूसरे लोग लड़ रहे होते हैं)।

अगर मैं रेज बेट न देखूँ तो मेरी reach गिर जाएगी?

बिल्कुल उल्टा। जो क्रिएटर्स 2025 में रेज बेट छोड़कर genuine कंटेंट डाल रहे हैं, उनकी औसत reach 40-60% बढ़ गई है क्योंकि एल्गोरिदम अब “healthy engagement” को रिवार्ड कर रहा है।