''भारत ‘सबसे प्राचीन लोकतंत्र’, इसके सफर को विश्व के सामने पेश करने के लिए पुस्तकें प्रकाशित करिये'' |

”भारत ‘सबसे प्राचीन लोकतंत्र’, इसके सफर को विश्व के सामने पेश करने के लिए पुस्तकें प्रकाशित करिये”

''भारत ‘सबसे प्राचीन लोकतंत्र’, इसके सफर को विश्व के सामने पेश करने के लिए पुस्तकें प्रकाशित करिये''

:   Modified Date:  September 23, 2023 / 10:13 PM IST, Published Date : September 23, 2023/10:13 pm IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) भारत को ‘‘सबसे प्राचीन लोकतंत्र’’ बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को प्रकाशकों से कहा कि वे देश की लोकतांत्रिक यात्रा, इसकी संस्कृति और विरासत को दुनिया के सामने उचित तरीके से पेश करने के लिए पुस्तकें प्रकाशित करने पर विचार करें।

बिरला ने कहा कि ये पुस्तकें आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेंगी।

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स’ द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा कि आज भारतीय लोकतंत्र का वैश्विक प्रभाव बढ़ गया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘कुशल नेतृत्व’ में भारत दुनिया के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकतंत्र के जरिए अपने देश में सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाए हैं। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत दुनिया के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम है। भारत की ताकत बढ़ी है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज भारतीय प्रकाशकों को भारत की बढ़ती ताकत, समृद्धि, संस्कृति और विरासत को दुनिया के सामने ‘उचित तरीके से’ ले जाने में ‘बहुत बड़ी भूमिका’ निभानी है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि हमारी संसदीय यात्रा, लोकतांत्रिक प्रक्रिया, जो आजादी से पहले थी और आजादी के बाद भी जारी है, को दुनिया तक ले जाने का प्रयास करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र हैं। आप हमारे लोकतंत्र की यात्रा को पूरी दुनिया में ले जा सकते हैं। यह काम आप बहुत अच्छे से कर सकते हैं। यह मेरी अपेक्षा है। मैंने आपको हमारी लोकतंत्र की यात्रा को दुनिया तक ले जाने का एक विचार दिया है क्योंकि आप प्रकाशक हैं और आपके पास लेखक भी हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा, विरासत और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष पर पुस्तकें इसकी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।

बिरला ने यह भी कहा कि भारत सबसे विविध देश है जहां लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं और विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं। यह भारत का लोकतंत्र ही है जिसने इतनी विविधता वाले देश में सभी को एक सूत्र में बांधे रखा है।

उन्होंने कहा, ‘‘चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति हमेशा से हमारे लोकतंत्र की ताकत रही है।’’

बिरला ने कहा कि संसदीय चर्चाओं और अन्य दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए डिजिटलीकरण करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि तीन महीने के भीतर संसद में सभी बहसें एक मंच पर उपलब्ध होंगी।’’

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)