भारत वैश्विक बाजार के लिए कई बार उपयोग करने लायक रॉकेट का निर्माण करेगा : इसरो

भारत वैश्विक बाजार के लिए कई बार उपयोग करने लायक रॉकेट का निर्माण करेगा : इसरो

भारत वैश्विक बाजार के लिए कई बार उपयोग करने लायक रॉकेट का निर्माण करेगा : इसरो
Modified Date: November 29, 2022 / 08:31 pm IST
Published Date: September 5, 2022 5:02 pm IST

बेंगलुरू, पांच सितंबर (भाषा) भारत की योजना वैश्विक बाजार के लिए ऐसा रॉकेट डिजाइन करने और निर्माण करने की है जिसका एक से अधिक बार उपयोग किया जा सके। ऐसा होने पर अंतरिक्ष यानों के प्रक्षेपण पर होने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी आएगी।

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा, ‘… हम सभी चाहते हैं कि प्रक्षेपण वर्तमान व्यय की तुलना में बहुत सस्ता हो।’

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उन्होंने सातवें ‘बेंगलुरु स्पेस एक्सपो 2022’ को संबोधित करते हुए और बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान में एक किलोग्राम वजन के यान को कक्षा में स्थापित करने में करीब 10,000 अमेरिकी डॉलर से 15,000 अमेरिकी डॉलर का व्यय आता है।

सोमनाथ ने कहा, ‘हमें यह व्यय कम कर 5,000 अमेरिकी डॉलर या 1,000 डॉलर प्रति एक किलोग्राम वजन तक लाना होगा। इसके लिए एकमात्र तरीका रॉकेट को पुन: उपयोग लायक बनाना है। आज भारत में हमारे पास प्रक्षेपण यानों (रॉकेट) के लिए पुन: उपयोग संबंधी प्रौद्योगिकी नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए, विचार है कि जीएसएलवी एमके 3 के बाद तैयार होने वाले अगले रॉकेट को हम पुन: उपयोग लायक बनाएं।’’

सोमनाथ ने कहा कि इसरो विभिन्न तकनीकों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा रॉकेट देखना चाहते हैं, जो पर्याप्त रूप से प्रतिस्पर्धी हो, किफायती और उत्पादन-अनुकूल हो, उसे भारत में बनाया जाएगा लेकिन अंतरिक्ष क्षेत्र की सेवाओं के लिए विश्व स्तर पर संचालित होगा। अगले कुछ वर्षों में ऐसा होना चाहिए ताकि हम उन सभी प्रक्षेपण यानों (भारत में) को उचित समय पर सेवानिवृत्त कर सकें।’

भाषा अविनाश माधव

माधव


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