इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने पांच वर्ष में बेहद कम ईडब्ल्यूएस ओपीडी मरीजों को देखा:दिल्ली सरकार

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने पांच वर्ष में बेहद कम ईडब्ल्यूएस ओपीडी मरीजों को देखा:दिल्ली सरकार

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  • Publish Date - November 12, 2025 / 06:47 PM IST,
    Updated On - November 12, 2025 / 06:47 PM IST

नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) दिल्ली सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने पिछले पांच वर्षों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के केवल नौ से 10 प्रतिशत बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) मरीजों और सात से नौ प्रतिशत आईपीडी मरीजों का ही इलाज किया है, जो उसके पट्टा (लीज) समझौते की शर्तों का उल्लंघन है।

अस्पताल के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के 40 प्रतिशत ओपीडी मरीजों और 33 प्रतिशत आईपीडी मरीजों का इलाज करना जरूरी है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की महानिदेशक वत्सला अग्रवाल द्वारा दायर हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया।

दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘अस्पताल को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 40 प्रतिशत ओपीडी मरीजों और 33 प्रतिशत आईपीडी मरीजों का इलाज करना था, लेकिन जांच में पाया गया कि पिछले पांच सालों में अस्पताल ने केवल नौ से 10 प्रतिशत ओपीडी और सात से नौ प्रतिशत आईपीडी मरीजों का ही इलाज किया।’’

उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई दिसंबर के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है और इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईएमसीएल) द्वारा संचालित अपोलो अस्पताल को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

शीर्ष अदालत आईएमसीएल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के 22 सितंबर 2009 के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि अस्पताल प्रशासन ने गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज देने की शर्तों का उल्लंघन किया है।

यह आदेश अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ (दिल्ली इकाई) की याचिका पर पारित किया गया था, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कर रहे थे।

भाषा खारी शोभना

शोभना