आईएनएस विक्रांत अंतिम मंजूरी के बाद पूरी तरह संचालन के लिये तैयार : वाइस एडमिरल श्रीनिवास

आईएनएस विक्रांत अंतिम मंजूरी के बाद पूरी तरह संचालन के लिये तैयार : वाइस एडमिरल श्रीनिवास

आईएनएस विक्रांत अंतिम मंजूरी के बाद पूरी तरह संचालन के लिये तैयार : वाइस एडमिरल श्रीनिवास
Modified Date: December 2, 2024 / 08:55 pm IST
Published Date: December 2, 2024 8:55 pm IST

कोच्चि, दो दिसंबर (भाषा) देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत ने इस साल ‘परिचालन’ संबंधी अंतिम मंजूरी प्राप्त करने के बाद पूर्ण रूप से संचालन योग्य होने का दर्जा हासिल कर लिया है।

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एफओसीआईएनसी) वाइस एडमिरल वी. श्रीनिवास ने सोमवार को यह जानकारी दी।

कोच्चि में नौसेना के पोत आईएनएस शार्दुल पर मीडिया से बात करते हुए श्रीनिवास ने कहा कि आईएनएस विक्रांत ने इस साल अंतिम परिचालन मंजूरी हासिल कर ली।

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उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न परीक्षणों के पूरा होने और जहाज के बेड़े के एकीकरण के साथ आईएनएस विक्रांत अब पूरी तरह से संचालन योग्य है और पश्चिमी बेड़े के तहत काम कर रहा है।’’

श्रीनिवास ने इस बात पर जोर दिया कि देश और नौसेना के लिए गौरव का प्रतीक यह जहाज भारतीय नौसेना के सभी अभियानों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2022 में कमीशन किया गया आईएनएस विक्रांत अब पश्चिमी नौसेना कमान के अधीन है और यह नौसैनिक जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम है।

पोत विभिन्न विमानों का परिचालन करने के लिए सुसज्जित है, जिसमें मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर बहु-उद्देश्यीय हेलीकॉप्टर, स्वदेशी उन्नत एवं हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) शामिल हैं।

श्रीनिवास ने कहा कि भारतीय नौसेना पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ संचालन को बढ़ावा देने के लिए हाइड्रोजन ईंधन के उपयोग के उपाय खोज रही है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नौसेना कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) जैसी एजेंसियों के साथ नियमित संपर्क में है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम हाइड्रोजन जैसे ईंधन पर काम करने वाली विभिन्न एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क में हैं। कोचीन शिपयार्ड ने छोटे ‘क्राफ्ट’ विकसित किए हैं और हम उनके साथ सहयोग कर रहे हैं। इसके अलावा हम हमेशा पर्यावरण के अनुकूल ईंधन और परिचालन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते रहे हैं।’’

भाषा

संतोष प्रशांत

प्रशांत


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