आईएनएसवी कौंडिन्य 29 दिसंबर को ओमान की यात्रा पर रवाना होगा

आईएनएसवी कौंडिन्य 29 दिसंबर को ओमान की यात्रा पर रवाना होगा

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 04:19 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 04:19 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) पारंपरिक तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया नौसेना का अग्रणी पोत आईएनएसवी कौंडिन्य अपनी पहली विदेश यात्रा ओमान के लिए 29 दिसंबर से शुरू करेगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

यह जहाज गुजरात के पोरबंदर से मस्कट के लिए रवाना किया जाएगा। यह यात्रा प्रतीकात्मक रूप से उन ऐतिहासिक समुद्री मार्गों को दोहराएगी, जिनके जरिये भारत हजारों वर्षों तक हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़ा रहा।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रों से प्रेरित और पूरी तरह पारंपरिक तकनीक से बना गया गया आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, कारीगरी और आधुनिक नौसैनिक विशेषज्ञता का दुर्लभ संगम है।

इसने कहा कि भारतीय नौसेना का यह अग्रणी पोत भारत की प्राचीन जहाज निर्माण और समुद्री यात्रा परंपराओं को पुनर्जीवित करता है। इसमें कहा गया है कि यह जहाज 29 दिसंबर को अपनी पहली विदेश यात्रा पर रवाना होगा।

मंत्रालय ने कहा कि आधुनिक जहाजों के विपरीत, इसके लकड़ी के तख्तों को नारियल के रेशे से बनी रस्सी का इस्तेमाल करके जोड़ा गया है और प्राकृतिक रेजिन से सील किया गया है। उसने कहा कि यह भारत के तटों और हिंद महासागर क्षेत्र में कभी प्रचलित रही जहाज निर्माण परंपरा को दर्शाता है।

अधिकारियों ने कहा कि इस तकनीक ने आधुनिक नौवहन और धातु विद्या के आने से बहुत पहले ही भारतीय नाविकों को पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक लंबी समुद्री यात्राएं करने में सक्षम बनाया।

यह परियोजना स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को फिर से खोजने और पुनर्जीवित करने के भारत के प्रयासों के तहत संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और होडी इनोवेशंस के बीच त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से पूरी की गई।

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि मुख्य जहाज निर्माता श्री बाबू शंकरन के मार्गदर्शन में पारंपरिक कारीगरों द्वारा बनाए गए इस पोत को भारतीय नौसेना और शैक्षणिक संस्थानों के व्यापक शोध, डिजाइन और परीक्षण का समर्थन मिला है। यह जहाज पूरी तरह समुद्र में चलने योग्य है और महासागरीय नौवहन में सक्षम है।

इस जहाज का नाम प्रसिद्ध नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है जिसके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया तक समुद्री यात्रा की। इस जहाज में एक समुद्री राष्ट्र के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका झलकती है।

भाषा अमित माधव

माधव