Isha Foundation Controversy: ‘हम लोगों से शादी या भिक्षु बनने के लिए नहीं कहते’, विवादों के बाद ईशा फाउंडेशन ने दी सफाई, जानें क्या है पूरा मामला

Isha Foundation Controversy: 'हम लोगों से शादी या भिक्षु बनने के लिए नहीं कहते', विवादों के बाद ईशा फाउंडेशन ने दी सफाई, जानें क्या है पूरा मामला

Isha Foundation Controversy: ‘हम लोगों से शादी या भिक्षु बनने के लिए नहीं कहते’, विवादों के बाद ईशा फाउंडेशन ने दी सफाई, जानें क्या है पूरा मामला

Isha Foundation Controversy

Modified Date: October 2, 2024 / 01:26 pm IST
Published Date: October 2, 2024 1:26 pm IST

नई दिल्ली: Isha Foundation Controversy मंगलवार को 150 पुलिस अधिकारियों की एक बटालियन ने थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के आश्रम में छापा मार कार्रवाई की। दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद एक एक्शन लिया गया। जिसके बाद ईशा फॉउंडेशन ने सफाई दी है ईशा फॉउंडेशन की तरफ से कहा गया है कि शादी या संन्यास लोगों का व्यक्तिगत निर्णय होता है, इस मामले में हम किसी को बाध्य नहीं करते।

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Isha Foundation Controversy ईशा फाउंडेशन का कहना है कि “ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है। हम लोगों से शादी करने या भिक्षु बनने के लिए नहीं कहते, क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं। ईशा योग केंद्र में हज़ारों ऐसे लोग रहते हैं जो भिक्षु नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या भिक्षुत्व ग्रहण किया है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता चाहता था कि भिक्षुओं को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए और भिक्षुओं ने खुद को न्यायालय के समक्ष पेश किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे हैं। अब जबकि मामला न्यायालय के पास पहुँच गया है, हमें उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।”

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि फाउंडेशन में उनकी दो बेटियों को बंधक बनकर रखा गया है। उन्हें तुरंत मुक्त कराया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच होनी चाहिए। सच जानना बेहद जरूरी है। जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगणनम की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।

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