सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान की तैयारी में जुटा इसरो, प्रक्षेपण के लिए उपग्रह श्रीहरिकोटा पहुंचा

सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान की तैयारी में जुटा इसरो, प्रक्षेपण के लिए उपग्रह श्रीहरिकोटा पहुंचा! ISRO prepares for mission to study Sun

  •  
  • Publish Date - August 14, 2023 / 12:45 PM IST,
    Updated On - August 14, 2023 / 04:14 PM IST

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष आधारित भारतीय वेधशाला आदित्य-एल-1 जल्द ही अपने प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रही है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी का मुख्यालय बेंगलुरु में है। एजेंसी ने अभियान पर अद्यतन जानकारी देते हुए कहा कि यहां यू. आर. राव उपग्रह केंद्र में निर्मित उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंच गया है।

Read More: तिरंगे में रंगी नजर आई सीमा हैदर, लगाए ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ और ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ के नारे.. देखें Video

प्रक्षेपण की तारीख के बारे में पूछे जाने पर इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्रक्षेपण सितंबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है।’’ अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखे जाने की उम्मीद है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

Read More: Balod News: फसल को लेकर चिंतित नजर आए किसान, सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण सूखे खेत

‘लैग्रेंज बिंदु’ का आशय अंतरिक्ष में स्थित उन बिंदुओं से होता है, जहां दो अंतरिक्ष निकायों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण और प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसका नामकरण इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुइस लैग्रेंज के नाम पर किया गया है। इसरो ने कहा कि एल-1 बिंदु के आसपास ‘हेलो’ कक्षा में रखे गए उपग्रह से सूर्य को बिना किसी छाया/ग्रहण के लगातार देखने फायदेमंद हो सकता है। इसरो ने कहा, ‘‘इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा।’’

Read More: TVS ने लॉन्च किया अपनी दमदार बाइक का ख़ास वेरिएंट, दिखेगी ब्लैक पैंथर और आयरन मैन की झलक, कीमत होगी मात्र इतनी

इस अंतरिक्ष यान में सात पेलोड हैं जो विद्युत चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टर का उपयोग करके फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का निरीक्षण करने में मदद करेंगे। विशेष सुविधाजनक बिंदु एल-1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर होंगे और शेष तीन पेलोड एल-1 पर कणों और क्षेत्रों का यथा स्थान अध्ययन करेंगे।

Read More: Baba Mahakal Ki Sawari : राजाधिराज बाबा महाकाल की निकाली जा रही सवारी, घटाटोप स्वरूप में भक्तों को दे रहे दर्शन, शिवभक्ति के साथ दिखाई दी देशभक्ति की भावना 

इसरो ने कहा, ‘‘आदित्य एल-1 पेलोड से कोरोना की उष्मा, कोरोना से विशाल पैमाने पर निकलने वाली ऊर्जा, उसकी रोशनी की गतिविधियों और विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने में बेहद अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है।’’

 

 

 

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक