नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य स्वाति मालीवाल ने खाद्य पदार्थों के गुमराह करने वाले विज्ञापनों का मुद्दा उठाया और कहा कि ऐसे विज्ञापनों में जो दावे किए जाते हैं, उत्पादों की स्थिति वास्तव में कुछ और ही होती है।
आप सदस्य मालीवाल ने विशेष उल्लेख के जरिए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘हम रोज टीवी पर गुमराह करने वाले विज्ञापन देखते हैं… विज्ञापन में कहा जाता है कि चॉकलेट हेल्थ ड्रिंक बच्चों को मजबूत बनाता है लेकिन सच्चाई यह है इसके 100 ग्राम पाउडर में 40 ग्राम चीनी होती है। मतलब करीब आधा डिब्बा शुगर होता है।’’
उन्होंने कहा कि मां ‘हेल्थ ड्रिंक’ समझकर अपने बच्चों को चीनी का घोल पिला रही हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह आटा नूडल्स भी है जिसमें आटे के स्थान पर मैदा और पाम आयल होता है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जूस में फल नहीं सिर्फ चीनी और रंग होता है। उन्होंने काजू बिस्कुट और बुजुर्गों के लिए बने प्रोटीन पाउडर का भी जिक्र किया और कहा कि इनके बारे में भ्रामक विज्ञापन होता है।
मालीवाल ने कहा कि इन उत्पादों को लोग स्वास्थ्यवर्धक समझ कर खा रहे हैं लेकिन वही धीरे-धीरे ‘‘डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और उक्त रक्त चाप’’ आदि का कारण बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पान मसाला में भी यही तकनीक अपनायी जाती है और पैकेट में केसर एवं चांदी होने की बात की जाती है। उन्होंने कहा कि मशहूर हस्तियां करोड़ों रुपए लेकर इनका विज्ञापन करती है लेकिन शायद ही वे इनका उपयोग करती हों।
उन्होंने कहा कि ऐसे धोखे के कारण ही देश में मुंह के कैंसर के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
विशेष उल्लेख के जरिए ही कांग्रेस सदस्य नीरज डांगी ने मेडिकल शिक्षा से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नीट-यूजी का आयोजन करने वाली संस्था एनटीए ने 2024 में कहा कि 13 लाख से अधिक छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए पात्र पाए गए।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि देश में 702 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें कुल सीटों की संख्या करीब एक लाख है। उन्होंने कहा कि शेष 12 लाख छात्रों में से कई छात्र मेडिकल पढ़ाई के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों का सहारा लेते हैं जहां पढ़ाई का खर्च प्रति सीट डेढ़ करोड़ रूपये तक होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में छात्र रूस, यूक्रेन, जार्जिया सहित अन्य देशों का रुख करते हैं जहां मेडिकल पढ़ाई का खर्च निजी कॉलेजों की तुलना में काफी कम है।
जद (यू) सदस्य खीरू महतो ने विशेष उल्लेख के जरिए ही झारखंड के हजारीबाग एवं बोकारो जिलों में बड़ी संख्या में चिमनी और ईंट-भट्ठों के संचालन से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि इन ईंट-भट्ठों के लिए बड़ी मात्रा में मिट्टी की जरूरत होती है और वह मिट्टी पास के जंगलों से निकाली जाती है जिससे बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे हैं।
जद (यू) सदस्य ने कहा कि गड्ढों के कारण पेड़ उखड़ रहे हैं और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
भाषा अविनाश नरेश
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