रांची, 23 दिसंबर (भाषा) झारखंड मंत्रिमंडल ने मंगलवार को अनुसूचित क्षेत्र का पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम के तहत नियमों को मंजूरी दे दी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि ये नियम पेसा अधिनियम के सभी प्रावधानों को शामिल करके बनाए गए हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने पत्रकारों को बताया, ‘ मंत्रिमंडल ने पेसा अधिनियम के तहत नियमों को मंजूरी दे दी है।’
अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाला यह अधिनियम 1996 में लागू किया गया था, लेकिन 2000 में एक अलग राज्य के गठन के बावजूद झारखंड ने अभी तक पेसा को लागू नहीं किया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘आज की कैबिनेट बैठक में पेसा सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा था। नियम बनाने के लिए हमने पहले विभिन्न हितधारकों से चर्चा की और विभिन्न विभागों की राय ली। अंततः आज हमने नियमों को मंजूरी दे दी है। अब इसे राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में बेहतर तरीके से लागू किया जाएगा।’
राज्य के वित्तमंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा, ‘कैबिनेट ने प्रस्तावित पेसा नियमों पर लगभग एक घंटे तक चर्चा की। अंततः कुछ मामूली संशोधनों के साथ इसे पारित कर दिया गया।’
पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार ने बताया कि अनुसूचित क्षेत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची में निर्धारित क्षेत्रों को संदर्भित करते हैं। झारखंड के 24 जिलों में से 13 जिले पूरी तरह से पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, जबकि दो जिले आंशिक रूप से इसके अंतर्गत आते हैं।
कुमार ने बताया, ‘इस अधिनियम में ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के प्रावधान हैं। कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को कुछ जिम्मेदारियां और शक्तियां दी गई हैं।’
उन्होंने बताया, ‘खनन क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की सहमति प्राप्त करने का प्रावधान है। भूमि अधिग्रहण, लघु वन उपज, साहूकारी पर प्रतिबंध और जल संसाधनों के प्रबंधन से संबंधित ग्राम सभाओं की भूमिकाएं परिभाषित की गई हैं।’
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का एक घटक कांग्रेस, राज्य में पेसा नियमों को लागू करने की मांग कर रही थी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंत्रिमंडल द्वारा पेसा नियमों को मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया।
मरांडी ने कहा, ‘हम कैबिनेट द्वारा पेसा नियमों को पारित किए जाने का स्वागत करते हैं। यह भाजपा के लंबे संघर्ष और दबाव का परिणाम है। भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने सड़क से लेकर संसद तक, लगातार इसके लिए आवाज उठाई।’
भाषा
शुभम सुभाष
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