रांची: राज्यों के लिए बिना किसी बाधा के परीक्षाएं आयोजित कराना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। परीक्षाओं के पहले पेपर फूटने और नक़ल जैसे मामलो में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इससे ना सिर्फ सरकार के संसाधन की बर्बादी हो रही है बल्कि शासन के कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे है। (Jharkhand Compitition Examination Bill) मध्य प्रदेश का व्यापम और राजस्थान में सामने आये पेपर लीक के मामले में सरकार की जमकर आलोचना भी हुई। इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट ने भी सरकारों को जमकर फटकार लगाईं। लेकिन अब इन सबसे सबक लेकर झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने नक़ल और पेपर लीक पर लगाम लगाने बड़ा कदम उठाया है। हेमंत सरकार ने ऐसी गतिविधियों को रोकने कड़ा क़ानून लाया है जो कि विधानसभा में पास भी हो गया है।
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सीपीआई (एमएल) और कांग्रेस विधायकों के संशोधन के कुछ प्रस्ताव स्वीकार करने के साथ ही सदन ने इसे पास कर दिया। सदन से पारित बिल का नाम ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) विधयेक-2023’ है।
इस बिल पर चर्चा के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि यह कानून परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने और कदाचार पर रोक लगाने के लिए बेहद जरूरी है। यह बिल हड़बड़ी में नहीं, (Jharkhand Compitition Examination Bill) बल्कि अध्ययन के बाद लाया गया है। इसके जरिए हमारी सोच नौजवानों के भविष्य को सुरक्षित रखने की है
प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी। दोषियों पर एक करोड़ से लेकर दो करोड़ तक जुर्माना लगाया जाएगा।
परीक्षाओं में नकल/कदाचार में पहली बार पकड़े जाने पर परीक्षार्थी को एक साल और दूसरी बार इसी तरह का जुर्म साबित होने पर तीन साल तक की सजा हो सकेगी। उन पर पांच से दस लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
इन मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान है। पेपर लीक और किसी प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भ्रामक जानकारी प्रचारित-प्रसारित करने वाले भी इस कानून के दायरे में आएंगे।
यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों से आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू होगा।