Asaduddin Owaisi on JPC Report
नई दिल्ली। Asaduddin Owaisi on JPC Report : संसद में बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट को लेकर जमकर हंगामा हुआ। वक्फ संसोधन बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट पहले राज्यसभा फिर लोकसभा में पेश की गई। राज्यसभा में बीजेपी सांसद मेधा कुलकर्णी ने यह रिपोर्ट पेश की। हालांकि, इसके बाद ही विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इससे सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी। नया इनकम टैक्स बिल भी संसद में पेश हुआ। दोनों बिल के पेश होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद सदन 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। वक्फ संसोधन बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट पेश होने के बाद एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान सामने आया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जेपीसी की रिपोर्ट पर, जो लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी गई है, समिति के सदस्य और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं, “आज, लोकसभा सांसदों का एक समूह, जिसमें ए राजा, कल्याण बनर्जी, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, गौरव गोगोई और मैं शामिल थे, अध्यक्ष से मिलने गए। हमने उन्हें बताया कि हमारे असहमति नोटों के कई पृष्ठ और पैराग्राफ जेपीसी रिपोर्ट से हटा दिए गए हैं। वह इतने दयालु थे कि उन्होंने महासचिव से कहा कि वे हमारे असहमति नोटों में से वह सब कुछ शामिल करें जो नियमों के अनुसार हो… बाद में, हम संसदीय पुस्तकालय में बैठे और रिपोर्ट में अधिकांश हटाए गए पृष्ठों को शामिल किया, समिति के कामकाज पर संदेह व्यक्त करने वाले पैराग्राफ को शामिल नहीं किया गया क्योंकि वे नियमों के विरुद्ध थे…”
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “…यह विधेयक न केवल असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है, बल्कि यह वक्फ को बचाने के लिए नहीं बल्कि इसे बर्बाद करने और मुसलमानों से इसे छीनने के लिए है…हम इस विधेयक की निंदा करते हैं…अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि सांसदों की असहमति रिपोर्टों के 70% संपादित संस्करण शामिल किए जाएंगे…”
#WATCH | Delhi | On JPC report on the Waqf (Amendment) Bill, 2024, submitted to the Lok Sabha Speaker, committee member and AIMIM Chief Asaduddin Owaisi says, “Today, a group of Lok Sabha MPs, which included A Raja, Kalyan Banerjee, Imran Masood, Mohammad Jawed, Gaurav Gogoi, and… pic.twitter.com/HZZ0iO77bY
— ANI (@ANI) February 13, 2025
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने ‘डिसेंट नोट’ दिए थे लेकिन उन्हें रिपोर्ट से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा, सिर्फ बहुमत सदस्यों के विचारों को रखकर उसे बुलडोज करना, ठीक नहीं है। यह निंदनीय है। यह लोकतंत्र-विरोधी है और प्रक्रियाओं के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि समिति में गैर-हितधारकों के भी बयान दर्ज किए गए।
उन्होंने इसे ‘फर्जी रिपोर्ट’ करार देते हुए कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए और समिति को वापस भेजा जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि जहां तक बाद हंगामे की है तो उच्च सदन के सदस्य व्यक्तिगत कारणों से नहीं बल्कि एक समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यह किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। ये सदस्य अपने लिए प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, वे उस समुदाय के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके खिलाफ अन्याय किया जा रहा है।