1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा : रिपोर्ट

1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा : रिपोर्ट

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  • Publish Date - September 18, 2024 / 04:24 PM IST,
    Updated On - September 18, 2024 / 04:24 PM IST

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) अमेरिका स्थित जलवायु वैज्ञानिकों और संचारकों के एक समूह की एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1970 के बाद इस साल जून से अगस्त तक दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा। इस दौरान, देश की एक-तिहाई से अधिक आबादी ने कम से कम सात दिन खतरनाक गर्मी का सामना किया।

‘क्लाइमेट सेंट्रल’ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इन तीन महीनों के दौरान 29 दिन तापमान संभवत: तीन गुना अधिक महसूस किया गया।

इसमें कहा गया है, ‘‘कम से कम 1970 के बाद से जून से अगस्त 2024 की अवधि भारत में दूसरी सबसे गर्म अवधि रही।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान की मार झेलने वाले सबसे अधिक लोग भारत के थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 60 दिन तक 2.05 करोड़ से अधिक लोग जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़े तापमान से प्रभावित हुए।

वैज्ञानिकों ने कहा कि 42.6 करोड़ से अधिक लोगों (भारत की लगभग एक तिहाई आबादी) को उनके इलाकों में कम से कम सात दिनों तक भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा और इस दौरान तापमान सामान्य से 90 प्रतिशत से अधिक हो गया था।

उनके मुताबिक, वैश्विक स्तर पर दो अरब से अधिक लोगों (विश्व आबादी का 25 प्रतिशत) ने 30 या अधिक दिनों तक अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया, जो कि संभवत: जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम तीन गुना अधिक हो गई।

भारत के कई शहरों में जलवायु परिवर्तन से तापमान काफी अधिक महसूस किया गया। तिरुवनंतपुरम, वसई-विरार, कावारत्ती, ठाणे, मुंबई और पोर्ट ब्लेयर जैसे शहर सबसे अधिक प्रभावित हुए। इनमें से प्रत्येक में जलवायु परिवर्तन के कारण 70 से अधिक दिनों तक कम से कम तीन गुना ज्यादा गर्मी पड़ी।

मुंबई में जलवायु परिवर्तन के कारण 54 दिन भीषण गर्मी दर्ज की गई। इस बीच, कानपुर और दिल्ली में लंबे समय तक खतरनाक गर्मी महसूस की गई और औसत तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के चलते यह असर देखा गया।

‘क्लाइमेट सेंट्रल’ में विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष एंड्रयू पर्शिंग ने कहा, ‘‘भीषण गर्मी स्पष्ट रूप से जलवायु परिवर्तन का नतीजा है और इसने उन तीन महीनों के दौरान दुनिया भर के अरबों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया।’’

क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव (सीएसआई) के कार्यकारी निदेशक वैभव प्रताप सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव देश भर के लोगों और व्यवसायों पर साफ दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हर साल हम बाढ़, सूखा और लू जैसी अधिक गंभीर जलवायु संबंधी घटनाओं का सामना कर रहे हैं। ये जीवन और आजीविका को खासा नुकसान पहुंचा रही हैं।’’

सिंह ने कहा, ‘‘यह आकलन करना महत्वपूर्ण है कि ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न स्तर से हमारे पर्यावरण पर क्या असर पड़ रहा है और साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि यह कृषि सहित लोगों, नौकरियों और उद्योगों को कैसे प्रभावित कर रहा है। इससे हमें विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशिष्ट अनुकूलन आवश्यकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।’’

साल 2023-24 में अल नीनो और मानव जनित जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव के कारण दुनिया मौसम के चरम रूप को देख रही है।

जनवरी-अगस्त की अवधि के लिए वैश्विक तापमान 1991-2020 के औसत से 0.70 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किए जाने के साथ, वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस बात की संभावना बढ़ गई है कि 2024 के नाम सबसे गर्म वर्ष होने का रिकॉर्ड दर्ज होगा।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, भारत में इस गर्मी में 536 दिन तक लू चली, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है। विभाग के मुताबिक, उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 1901 के बाद से जून का महीना सबसे गर्म दर्ज किया गया।

भाषा

ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र पारुल

पारुल