बेंगलुरु, 19 सितंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न एवं बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे जनता दल (सेक्युलर) (जद-एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इससे पूर्व न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने पहले मामले में रेवन्ना के आवेदन और इसी तरह की शिकायतों से संबंधित दो अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दलीलें सुनीं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने वकीलों को निर्देश दिया कि वे पीड़ितों के नाम का जिक्र करने से बचें, इसके बजाय वे मामले से जुड़े दस्तावेजों में विशिष्ट विवरण का जिक्र करें।
रेवन्ना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने घटनाओं के समय का जिक्र करते हुए जोर दिया कि जिस महिला ने इससे पहले रेवन्ना पर अवैध तरीके से उसके घर से निकाले जाने का आरोप लगाया था उसने शुरू में उन पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप नहीं लगाया था।
नवदगी ने कहा कि आरोप मुख्यत: रेवन्ना के पिता पर केंद्रित थे और बताया गया कि पीड़ित ने चार साल तक परिवार के लिए काम किया था।
उन्होंने शिकायत दायर करने में चार साल की देरी और शुरू में घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने के कारण पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने दलील दी कि महिला का दावा है कि उसके पति द्वारा एक वीडियो के बारे में पूछे जाने के बाद उसने इस बारे में बोलने का साहस जुटाया और इसलिए शुरू में उसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार का आरोप नहीं लगाया।
नवदगी ने आगे दलील दी कि फोरेंसिक रिपोर्ट में कथित वीडियो से रेवन्ना के संबंध का पता नहीं चलता और पीड़ित एवं उसकी बेटी के बयानों में ‘‘विरोधाभास’’ को रेखांकित किया।
नवदगी ने रेवन्ना के फोन में इस तरह के किसी आपराधिक वीडियो के होने से इनकार किया। उन्होंने यह भी दलील दी कि जिस फोन को लेकर सवाल किया जा रहा है वह रेवन्ना के चालक कार्तिक का है और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट अधूरी थी।
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ई के तहत आरोपों पर नवदगी ने कहा कि ये आरोप रेवन्ना पर सीधे तौर पर नहीं लगाए हैं। उन्होंने शिकायत में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी कि इस मामले में देरी को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
राज्य की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार ने दलील दी कि पीड़ित को रेवन्ना ने धमकाया था और उसने शिकायत में देरी की वजह भी बताई थी।
कुमार ने जोर देकर कहा कि पीड़ित के बाद के बयान में धमकी का जिक्र है। उन्होंने यह भी कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य रेवन्ना के खिलाफ विशेषकर पीड़ित की बेटी के संबंध में उसके आरोपों का समर्थन करते हैं।
उच्च न्यायालय ने एफएसएल की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया जबकि कुमार ने एक बार फिर याचिकाकर्ता की धमकियों और पीड़ित को चुप कराने के प्रयासों का हवाला देते हुए शिकायत में देरी को सही ठहराया।
कुमार ने यह भी दलील दी कि रेवन्ना ने अपना फोन नहीं सौंपा था जिसमें कई अहम सूचना थी और न्याय से बचने के लिए वह देश छोड़कर चले गए थे।
इन दलीलों के बाद अदालत ने जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
रेवन्ना हालिया लोकसभा चुनाव में हासन सीट से हार गए। 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित अश्लील वीडियो वाले पेन-ड्राइव कथित तौर पर हासन में प्रसारित होने के बाद यौन शोषण के मामले प्रकाश में आए।
भाषा
सुरभि संतोष
संतोष
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