न्यायालय ने करूर भगदड़ पीड़ित परिवार से राजनीतिक दबाव के आरोप के साथ सीबीआई से संपर्क करने को कहा

न्यायालय ने करूर भगदड़ पीड़ित परिवार से राजनीतिक दबाव के आरोप के साथ सीबीआई से संपर्क करने को कहा

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  • Publish Date - October 31, 2025 / 12:13 AM IST,
    Updated On - October 31, 2025 / 12:13 AM IST

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने करूर भगदड़ कांड के पीड़ित एक परिवार से बृहस्पतिवार को कहा कि वे अपने इस आरोप के साथ सीबीआई से संपर्क करें कि अधिकारियों ने उन्हें धमकी दी है।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने परिवार की ओर से अदालत में पेश हुए वकील द्वारा प्रस्तुत दलीलों पर गौर किया।

पीठ ने कहा, ‘‘यह दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता को राज्य के अधिकारियों द्वारा धमकाया और बहलाया-फुसलाया गया है। हालांकि, इस संबंध में, यह कहना पर्याप्त है कि याचिकाकर्ता केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो में आवेदन कर सकता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘फिलहाल, यह कहने के अलावा, अंतरिम आवेदनों पर कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।’

न्यायालय ने 13 अक्टूबर को करूर भगदड़ की सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसमें 41 लोग मारे गए थे। अदालत ने कहा था कि इस घटना ने राष्ट्रीय चेतना को झकझोर दिया है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

अभिनेता एवं नेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) द्वारा स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिका पर अपने आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पर्यवेक्षी समिति का गठन भी किया।

विशेष जांच दल (एसआईटी) और एक सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति के निर्देशों को स्थगित करते हुए, न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के साथ पूर्ण सहयोग करने को कहा।

न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन सेंथिलकुमार की भी आलोचना की, जिन्होंने इस घटना से संबंधित याचिकाओं पर विचार किया, एसआईटी जांच का आदेश दिया और टीवीके तथा उसके सदस्यों को मामले में पक्षकार बनाए बिना उनके विरुद्ध टिप्पणियां कीं।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि 27 सितंबर को टीवीके रैली के दौरान हुई करूर भगदड़ ने पूरे देश के लोगों के मन में छाप छोड़ी है।

अदालत ने कहा कि इस घटना का नागरिकों के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है और जिन परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है, उनके मौलिक अधिकारों को लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अदालत ने मामले के राजनीतिक निहितार्थ पर गौर किया और कहा कि ‘घटना की गंभीरता को ध्यान में रखे बिना’, शीर्ष पुलिस अधिकारियों द्वारा मीडिया के सामने की गई टिप्पणियां निष्पक्षता और निष्पक्ष जांच पर नागरिकों के मन में संदेह पैदा कर सकती हैं।

भाषा अमित रंजन

रंजन