न्यायाधीशों की कमी से न्याय प्रदान करने पर असर : पश्चिम बंगाल बार काउंसिल उपाध्यक्ष

न्यायाधीशों की कमी से न्याय प्रदान करने पर असर : पश्चिम बंगाल बार काउंसिल उपाध्यक्ष

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  • Publish Date - June 7, 2021 / 11:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

कोलकाता, सात जून (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय में वर्तमान में मंजूर संख्या से आधे से भी कम केवल 31 न्यायाधीश हैं और मुकदमों का अंबार लगता जा रहा है।

इस पर चिंता प्रकट करते हुए पश्चिम बंगाल बार काउंसिल उपाध्यक्ष सिद्धार्थ मुखोपाध्याय ने कहा कि देश के सबसे पुराने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कम होने से मामलों के निपटारा में देरी हो रही है और इससे न्याय प्रदान की प्रणाली प्रभावित होती है। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के मुताबिक कलकत्ता उच्च न्यायालय में कुल 2,72,092 मामले लंबित हैं और यहां न्यायाधीशों के 72 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 2,29,331 दीवानी मामले और 42,761 फौजदारी मामले हैं। मुखोपाध्याय ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार से जल्द से जल्द न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की प्रभावी संख्या भी प्रभावित हुई है क्योंकि दो न्यायाधीश अंडमान और जलपाईगुड़ी पीठ के मामलों की सुनवाई भी करते हैं। मुखोपाध्याय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कम न्यायाधीश रहने के कारण कई वादियों को भी परेशानी होती है क्योंकि उनके मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि पर्याप्त खंडपीठ भी नहीं बनायी जा सकती क्योंकि उच्च न्यायालय में केवल 31 न्यायाधीश हैं।

उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने फरवरी में आठ न्यायिक अधिकारियों को कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वकील रविशंकर चटर्जी ने भी कहा कि लाखों याचिकाकर्ताओं के हित में तुरंत रिक्त पद भरे जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करने के लिए जरूरी कदम उठाए।’’

भाषा आशीष उमा

उमा