मद्रास उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन को राहत दी

मद्रास उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन को राहत दी

मद्रास उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन को राहत दी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 pm IST
Published Date: January 11, 2022 8:08 pm IST

चेन्नई, 11 जनवरी (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोयंबटूर में पर्यावरण प्राधिकारों को जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति पी डी ऑदिकेसवालू की प्रथम पीठ ने आज फाउंडेशन की एक रिट याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए और उस पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए संक्षिप्त राहत दी।

अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल आर शंकरनारायणन और महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम की संक्षिप्त दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने रिट याचिका पर जवाब दाखिल करने और मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

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पीठ ने कहा, ‘‘इस बीच प्रतिवादी अभियोजन के लिए कारण बताओ नोटिस के संदर्भ में आगे नहीं बढ़ेंगे।’’

उन्होंने अगली सुनवाई के लिए एक फरवरी की तारीख तय की।

ईशा फाउंडेशन के खिलाफ आरोप है कि उसने 2006 से 2014 के बीच पर्यावरण मंजूरी प्राप्त किये बिना वेल्लियांगिरि पहाड़ियों में इमारतों का निर्माण किया था।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने 2014 में जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) की अधिसूचना का गलत अर्थ निकाला है। यह 2006 में जारी इसी तरह की अधिसूचना का विस्तार मात्र थी और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होने वाली इमारतों के लिए दी गयी छूट 2006 से बढ़ाई जानी चाहिए, ना कि 2014 से।

उन्होंने दावा किया कि राज्यस्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार भी इस मुद्दे पर स्पष्ट था। वकील ने कहा कि इसके बावजूद अधिकारियों ने दुर्भावनापूर्ण कारणों से हाल में व्यवस्था में बदलाव के बाद फाउंडेशन के खिलाफ मुकदमे का फैसला किया था।

महाधिवक्ता षणमुगसुंदरम ने दलील दी कि यह केंद्र को स्पष्ट करना है कि 2014 की अधिसूचना को 2006 के पूर्वगामी प्रभावी से देखा जाएगा या नहीं।

भाषा वैभव माधव

माधव


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