Mamta Kulkarni became a sanyasi। Image Credit: IBC24
महाकुंभनगर: Actress Mamta Kulkarni अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई और गृहस्थ जीवन से संन्यास लेने की घोषणा की। सरकारी बयान के मुताबिक, महाकुंभ में किन्नर अखाड़े ने ममता का पिंडदान कराने के बाद महामंडलेश्वर पद पर उनका पट्टाभिषेक किया। बयान के अनुसार, किन्नर अखाड़े ने ममता को माई ममता नंद गिरी नाम दिया।
Actress Mamta Kulkarni बयान में कहा गया है, “ममता ने किन्नर अखाड़ा पहुंचकर आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद वह अखिल भारतीय अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्र पुरी से भी मिलीं। ममता इस दौरान साध्वी के कपड़ों में दिखाई दीं।” अभिनेत्री ने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैं महाकुंभ की इस पवित्र बेला की साक्षी बन रही हूं, संतों का आशीर्वाद प्राप्त कर रही हूं। मैंने 23 साल पहले अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी से कुपोली आश्रम में दीक्षा ली थी और अब मैं पूरी तरह से संन्यासी जीवन में प्रवेश कर रही हूं।”
ममता ने कहा, “मैंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अपना पट्टागुरु इसलिए चुना, क्योंकि आज शुक्रवार है और यह महाकाली का दिन है। कल मुझे महामंडलेश्वर बनाने की तैयारी चल रही थी। और आज मां शक्ति ने मुझे निर्देश दिया कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को चुनूं, क्योंकि वह अर्धनारीश्वर का साक्षात रूप हैं। इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है कि कोई अर्धनारीश्वर मेरा पट्टाभिषेक करे।”
उन्होंने कहा, “महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए मुझे कड़ी परीक्षा देनी पड़ी। मुझसे सवाल किया गया कि मैंने 23 वर्षों में क्या किया? जब मैंने सभी परीक्षाएं पास कर लीं, तो मुझे महामंडलेश्वर की उपाधि मिल गई।” ममता ने कहा कि उन्हें प्रयागराज पहुंचकर बहुत अच्छा लग रहा है और 144 साल बाद ऐसे ग्रह-नक्षत्र बन रहे हैं कि कोई भी महाकुंभ इस महाकुंभ जितना पवित्र नहीं हो सकता। यह पूछे जाने पर कि उनकी ‘दीक्षा’ को लेकर कुछ संतों में नाराजगी है, ममता ने कहा, “कई लोग नाराज हैं। उन्हें लगता है कि मैं बॉलीवुड में वापसी करूंगी। लेकिन, जैसी ईश्वर की इच्छा… महाकाल और महाकाली की इच्छा के आगे किसी की नहीं चलती। वही परम ब्रह्म हैं।”
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ममता ने आज गंगा तट पर अपना पिंडदान किया। उन्होंने बताया कि किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता को दीक्षा दी। टीना मां के अनुसार, ममता पिछले दो वर्षों से जूना अखाड़ा से जुड़ी रही हैं और दो-तीन महीने पहले वह किन्नर अखाड़े के संपर्क में आई थीं।