नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सवाल उठाया कि 2023 में मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कथित भूमिका की ओर से इशारा करने वाली याचिका में जिन लीक ऑडियो क्लिप का जिक्र किया गया है, उनमें से उपलब्ध सभी क्लिप फॉरेंसिक जांच के लिए क्यों नहीं भेजी गईं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से 20 नवंबर को दाखिल हलफनामे से वह “थोड़ा व्यथित” है, जिसमें “कहा गया है कि केवल चुनिंदा क्लिप को ही जांच के लिए भेजा गया था।”
अदालत ने प्राधिकारियों से पूछा कि लीक हुई लगभग 48 मिनट की ऑडियो क्लिप को जांच के लिए गुजरात के राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) क्यों नहीं भेजा गया। एनएफएसयू ने लगभग ‘क्लीन चिट’ देते हुए कहा है कि लीक हुई ऑडियो क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई है।
मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व में बदलाव की बढ़ती मांगों के बीच सिंह ने नौ फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
सोमवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक आराधे की पीठ ने नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से 20 नवंबर को इस मामले में दाखिल हलफनामे से वह “थोड़ा व्यथित” है।
प्रतिवादियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि हलफनामा उन्हें नहीं दिया गया था। पीठ ने कहा, “अब यह हलफनामा, जो आपके अनुसार आपको नहीं दिया गया है, उसमें कहा गया है कि केवल चुनिंदा क्लिप ही भेजी गई थीं…।”
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत सभी ऑडियो क्लिप संभवतः एनएफएसयू को नहीं भेजी गई थीं।
जब प्रतिवादियों के वकील ने हलफनामे का जवाब देने की बात कही, तो पीठ ने पूछा कि पूरा दस्तावेज एनएफएसयू को क्यों नहीं भेजा गया। उसने कहा, “लेकिन फिर से समय क्यों बर्बाद किया जाए?”
पीठ ने जानना चाहा कि “वास्तव में कितनी सामग्री उपलब्ध है?”
भूषण ने बताया कि सभी ऑडियो क्लिप लगभग 56 मिनट की हैं और याचिकाकर्ताओं ने अदालत में 48 मिनट की क्लिप पेश की हैं।
उन्होंने कहा कि ऑडियो क्लिप के बाकी हिस्से से उस व्यक्ति की पहचान उजागर होती है, जिसने यह रिकॉर्डिंग की है और अगर उसकी पहचान सामने आ जाती है, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है।
पीठ ने पूछा, “जब आपके पास पूरी ऑडियो क्लिप उपलब्ध हो गई थी, तो इसे एनएफएसयू को भेजा जाना चाहिए था। उन्होंने केवल सीमित क्लिप ही क्यों भेजी?”
मामले में पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने हलफनामे पर जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा।
पीठ ने कहा कि 48 मिनट की ऑडियो क्लिप एनएफएसयू को भेजी जानी चाहिए थी।
पीठ ने मामले की सुनवाई सात जनवरी को निर्धारित की है।
न्यायालय कुकी आर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (केओएचयूआर) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया है।
मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 260 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हो गए।
केओएचयूआर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिंह मणिपुर के कुकी-बहुल क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हत्या, तोड़-फोड़, आगजनी और हिंसा के अन्य रूपों को भड़काने, संगठित करने और निर्देश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
भाषा आशीष पारुल
पारुल