Mann ki Baat 102nd Episode
नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अपने कार्यक्रम ‘मन कि बात’ के माध्यम से सम्बोधित किया। मन कि बात की यह 102 वीं कड़ी थी जिसमे उन्होंने कई वर्तमान विषयों पर विस्तार से चर्चा की। (Mann ki Baat 102nd Episode) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवाती तूफ़ान बिपरजॉय पर भी चर्चा की तो उन्होंने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी अपनी बातें रखी।
मन कि बात में इस बार उन्होंने मध्यप्रदेश कि 13 साल की बेटी मीनाक्षी का विशेष रुप से उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत कि दिशा में उठाये गए कदम कि भी जमकर सराहना की। पीएम ने कहा कि भारत को टी।बी। मुक्त बनाने की मुहिम में हमारे बच्चे और युवा साथी भी पीछे नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना की 7 साल की बेटी नलिनी सिंह का कमाल देखिए। बिटिया नलिनी, अपनी Pocket money से, टी।बी। मरीजों की मदद कर रही है।
उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि बच्चों को गुल्लक से कितना प्यार होता है, लेकिन, मध्यप्रदेश के कटनी जिले की 13 साल की मीनाक्षी और पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर के 11 साल के बश्वर मुखर्जी, दोनों ही कुछ अलग ही बच्चे हैं। इन दोनों बच्चो ने अपने गुल्लक के पैसे भी टी।बी। मुक्त भारत के अभियान में लगा दिए हैं। ये सभी उदाहरण भावुकता से भरे होने के साथ ही, बहुत प्रेरक भी हैं। कम उम्र में बड़ी सोच रखने वाले इन सभी बच्चों की, मैं हृदय से प्रशंसा करता हूं।
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टीबी मुक्त भारत निर्माण के लिए उन्होंने नि-क्षय मितों के योगदान का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि आपने रामायण की उस नन्हीं गिलहरी के बारे में जरुर सुना होगा, जो, रामसेतु बनाने में मदद करने के लिए आगे आई थी। कहने का मतलब ये, कि जब नीयत साफ हो, प्रयासों में ईमानदारी हो, तो फिर कोई भी लक्ष्य, कठिन नहीं रहता। भारत भी, आज, इसी नेक नीयत से, एक बहुत बड़ी चुनौती का मुकाबला कर रहा है। ये चुनौती है – टी.बी. की, जिसे क्षय रोग भी कहा जाता है। भारत ने संकल्प किया है 2025 तक, टी.बी. मुक्त भारत, बनाने का – लक्ष्य बहुत बड़ा ज़रूर है। (Mann ki Baat 102nd Episode) एक समय था, जब, टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे, लेकिन ये आज का समय है, जब टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद की जा रही है। इस क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए, निक्षय मित्रों ने, मोर्चा संभाल लिया है। देश में बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न सामाजिक संस्थाएं निक्षय मित्र बनी हैं। गाँव-देहात में, पंचायतों में, हजारों लोगों ने खुद आगे आकर टी.बी. मरीजों को गोद लिया है। कितने ही बच्चे हैं, जो, टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आए हैं। ये जन-भागीदारी ही इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है। इसी भागीदारी की वजह से आज देश में 10 लाख से ज्यादा टी.बी. मरीजों को गोद लिया जा चुका है और ये पुण्य का काम किया है, क़रीब-क़रीब 85 हजार निक्षय मित्रों ने। मुझे खुशी है कि, देश के कई सरपंचों ने, ग्राम प्रधानों ने भी, ये बीड़ा उठा लिया है कि वो, अपने गांव में टी.बी. को समाप्त करके ही रहेंगे।