अनोखी परंपरा! इस मंदिर में साड़ी-लहंगा पहनकर पुरुष खेलते हैं गरबा, बेहद शानदार होता है नज़ारा
अनोखी परंपरा! इस मंदिर में साड़ी-लहंगा पहनकर पुरुष खेलते हैं गरबा, बेहद शानदार होता है नज़ारा Men play Garba in a sari-lehenga
Men play Garba in a sari-lehenga
Men play Garba in a sari-lehenga: वडोदरा। नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही मंदिरों से लेकर बाजार तक हर तरफ रौनक ही रौनक देखने को मिल रही है। इन दिनों मां की आराधना के लिए सजाये गए पंडालों में गरबा-डांडिया की भी अलग ही धूम रहती है। देश भर में लोग बड़े उत्साह के साथ गरबा और डांडिया में हिस्सा लेते हैं। वैसे तो आमतौर पर लड़कियों को गरबे के लिए सजते-संवरते देखा जाता है लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां सिर्फ पुरुष ही गरबा खेलते हैं।
हमबात कर रहे हैं गुजरात के वडोदरा में स्थित अंबा माता मंदिर की जहां नवरात्रि की अलग ही धूम देखने को मिलती है। यहां पुरुष गरबा खेलकर सदियों पुरानी परंपरा निभाते हैं। एक तरफ जहां सभी साड़ी- लहंगा पहनकर पुरुष गरबा खेल रहे हाेते हैं, वहीं कुछ महिलाएं झरोखे में बैठे हुए गाने गा रही होती हैं। यह नजारा देखने लोग दूर- दूर से मंदिर पहुंचते हैं।
Men play Garba in a sari-lehenga: यहां पिछले 200 सालों से पुरुष ही गरबा खेलते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब वड़ोदरा मे गायकवाड़ से पहले इस्लामी शासकों का शासन था तब स्त्रियों को परदे में रहना पड़ता और माता की आराधना के लिए पुरुष ही स्त्री का वेश धारण कर के यहां गरबा खेलते थे। घड़ियाली पोल अम्बा माता मंदिर के गरबा में आज भी जो गरबा खेलते है, वो सारे पुरुष ही होते है।
#WATCH: Vadodara’s Amba Mata Temple practices an age-old tradition of an ‘All-Men Garba’. “In ancient times it wasn’t safe for women to participate in Garba late at night, which is why men performed it draping dupattas; doesn’t mean that women weren’t allowed,” said temple priest pic.twitter.com/lnKkfZCHgm
— ANI (@ANI) October 9, 2021
Men play Garba in a sari-lehenga: पुराने समय में देर रात गरबा में महिलाओं के शामिल होने को सुरक्षित नहीं माना जाता था, इसलिए पुरुष इसे करने लगे। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यहां महिलाओं के आने पर पाबंदी है। महिलाएं भी इसमें आ सकती हैं। लेकिन इस सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए वे सीधे इसमें नहीं जुड़ती हैं, इसकी बजाय वे जश्न में शामिल होकर गाना-बजाना करती हैं।’

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