Morbi Bridge Collapse: इन गलतियों से हुआ मोरबी ब्रिज हादसा! 143 साल पुराने पुल के गिरने पर लोगों ने पूछे ऐसे सवाल
Morbi Bridge Collapse Morbi Bridge accident happened due to these mistakes! People asked such questions इन गलतियों से हुआ मोरबी ब्रिज हादसा! 143 साल पुराने पुल के गिरने पर लोगों ने पूछे ऐसे सवाल
Morbi Accident bridge Question to Bjp Government
Morbi Bridge Collapse गुजरात के मोरबी में हुए केबल हादसे में अब तक लगभग 142 लोगों की जान जा चुकी हैं। रविवार की रात शाम 6 बजे होने वाले इस हादसें में लगभग 400 लोगों की जान खतरे में आई गई।जिसके बाद आपदा प्रबंधन की टीमें राहत कार्य में लगी हुई हैं। राहत कार्य में राज्य और केंद्र सरकार के लगभग 200 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं। लेकिन पुल के ढह जाने के कारण गुजरात सरकार प्रश्नों के घेरे में आ गई हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार मच्छु नहीं पर बना यह पुल 143 साल पुराना हैं। जिसके कुछ महीने पहले ही रिपेयर कराया गया था।
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177 लोगों की बची जान
Morbi Bridge Collapse दरशल मच्छु नदी पर बना यह केबल ब्रिज अंग्रेजो के जमाने का केबल ब्रिज था। जिसमें एक बार में अधिकतम 100 लोग ही चढ़ सकते थे। लेकिन कल छठ पूजा के दौरान उमड़ी भीड़ और व्यवस्था के बीच में सामजस्य ना हो पाने कारण ये हादसा हो गया। गुजरात सरकार के सूचना विभाग के अनुसार 177 लोगों ने जान बचा पाने में सफलता हांसिल हुई हैं। आपदा प्रबंधन टीम अभी भी लगी हुई हैं। भारत सरकार की तीनों प्रमुख सेनाऐं भी इस काम जुटी हुई हैं। लेकिन देश के नागरिक सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। जिसमें पांच सवाल प्रमुख हैं।
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उठ रहे ये पांच सवाल
- Morbi Bridge Collapse पुल की क्षमता करीब 100 लोगों की थी लेकिन 250 से ज्यादा लोग उस पर पहुंच गए. इतने लोगों का भार पुल नहीं सह पाया. अचानक पुल पर इतनी भीड़ कहां से आ गई?
- पुल पर पहुंचे लोगों को रोका क्यों नहीं गया?
- जानकारी के अनुसार, एक निजी कंपनी ने सात महीने तक पुल की मरम्मत का कार्य किया लेकिन नगरपालिका से फिटनेस प्रमाणपत्र मिले बिना ही हादसे से चार दिन पहले जनता के लिए खोल दिया गया. आखिर बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को क्यों खोला गया?
- चश्मदीदों के मुताबिक, पुल खोले जाने पर कर्मचारियों का ध्यान भीड़ पर नहीं था, वे ज्यादा से ज्यादा टिकट बेचने में लगे थे. क्या केवल मुनाफे के लिए कंपनी ने क्षमता से ज्यादा टिकट बेचे?
- कंपनी को दोबारा पुल खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला था. इसके बाद भी पुल खोलने का जोखिम क्यों लिया गया?
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