रोग प्रतिरोधक क्षमता निष्क्रिय करने में सक्षम होने की वजह से अधिक संक्रामक ‘डेल्टा’ स्वरूप :अध्ययन

रोग प्रतिरोधक क्षमता निष्क्रिय करने में सक्षम होने की वजह से अधिक संक्रामक ‘डेल्टा’ स्वरूप :अध्ययन

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  • Publish Date - September 7, 2021 / 01:35 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:10 PM IST

नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) सार्स-सीओवी-2 संक्रमण का ‘डेल्टा’ स्वरूप संभवत: रोग प्रतिरोधक क्षमता निष्क्रिय करने में सक्षम होने की वजह से अधिक संक्रामक है। ‘नेचर’ पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

कोविड-19 का स्वरूप ‘बी.1.617.2’ या ‘डेल्टा’ का पहला मामला 2020 अंत में भारत में सामने आया था और इसके बाद यह पूरे विश्व में फैला।

अनुसंधानकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने संक्रमण पर टीके के असर के प्रयोगशाला आधारित और महामारी विज्ञान आधारित संयुक्त प्रयोगों में पाया कि ‘डेल्टा’ स्वरूप अन्य स्वरूप की तुलना अधिक तेजी से फैलता है।

ब्रिटेन में ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के प्रोफेसर एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखकों में से एक रवींद्र गुप्ता ने कहा, ‘‘ भारत में 2021 में संक्रमण की दूसरी लहर के कहर के दौरान इन कारकों की भूमिका बहुत रही होगी, जहां कम से कम आधे मरीज वे थे, जो पहले भी संक्रमण के अन्य स्वरूप की चपेट में आ चुके थे।’’

यह जांचने के लिए कि ‘डेल्टा’ स्वरूप प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से बचने में कितना सक्षम था, टीम ने ब्रिटेन के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (एनआईएचआर) बायोरिसोर्स’ के कोविड​​-19 ‘कोहोर्ट’ (जांच के) के हिस्से के रूप में एकत्र किए गए रक्त के नमूनों से सीरम निकाला। ये नमूने उन लोगों के थे, जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे या जिन्हें ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (जिसे भारत में कोविशील्ड कहा जाता है) का टीका या फाइजर का टीका लगा था। सीरम में संक्रमण या टीकाकरण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता होती है।

अध्ययन में पाया गया कि ‘डेल्टा’ स्वरूप पहले से संक्रमित लोगों के ‘सीरा’ की तुलना में 5.7 गुना कम संवेदनशील है और ‘अल्फा’ स्वरूप की तुलना में टीके के ‘सीरा’ के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है। अन्य शब्दों में, टीका लगे किसी व्यक्ति को इससे संक्रमित होने से रोकने के लिए आठ गुना प्रतिरोधक क्षमता चाहिए।

भाषा निहारिका शाहिद

शाहिद