नगर निकाय राजस्व के बिना अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकते, निष्क्रिय हो जाएंगे: न्यायालय

नगर निकाय राजस्व के बिना अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकते, निष्क्रिय हो जाएंगे: न्यायालय

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 10:16 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 10:16 PM IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राजस्व सृजन के बिना नगर निकायों से अपने कार्यों को जारी रखने और वैधानिक दायित्वों को पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इन कर्तव्यों के निर्वहन में किसी भी तरह की चूक से अराजकता फैल सकती है, बीमारियों का प्रसार हो सकता है और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत अकोला नगर निगम के अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों पर 16 साल के अंतराल के बाद संपत्ति कर बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा, “राजस्व सृजन के बिना नगर निकायों से इन सभी कार्यों को जारी रखने और वैधानिक दायित्वों को पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन सभी गतिविधियों/कार्यों की लागत समय के साथ बढ़ती है और इसलिए बढ़ती लागत के अनुरूप नियमित आधार पर कर ढांचे में संशोधन अपरिहार्य है।”

उसने कहा कि प्रत्येक नगर निकाय को सौंपे गए कार्यों में शहरी नियोजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, आवश्यक सेवाओं का प्रावधान और शहरों/कस्बों के बुनियादी ढांचे का रखरखाव शामिल है।

पीठ ने कहा, “ये गतिविधियां/कार्य जन कल्याण के लिए और प्रत्येक शहर या कस्बे में नागरिकों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए आ‍वश्यक है।”

उसने कहा, “इन कर्तव्यों/गतिविधियों में किसी भी तरह की चूक से अराजकता फैल सकती है, बीमारियों का प्रसार हो सकता है और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिनके कल्याण के लिए नगर निकायों का गठन किया गया है।”

भाषा पारुल संतोष

संतोष