नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने देश में बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार सजायाफ्ता कैदियों की रिहाई के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है।
नालसा ने मीडिया में जारी एक बयान में कहा, “याचिका में ऐसे कैदियों के समक्ष उपस्थित विकट परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा संवैधानिक और मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप चिन्हित कैदियों की अनुकंपा रिहाई के क्रियान्वयन की मांग की गई है।”
याचिका में कहा गया है कि जेलों में बंद बुजुर्ग और अशक्त कैदियों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है और इन्हें अक्सर पर्याप्त चिकित्सा देखभाल नहीं मिल पाती।
नालसा ने कहा कि ऐसे लोगों को लंबे समय तक कैद में रखने से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों का भी उल्लंघन होता है।
इसमें कहा गया है कि प्राधिकरण ने कमजोर कैदियों की दुर्दशा को दूर करने के लिए बुजुर्ग और असाध्य रूप से बीमार कैदियों के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है।
बयान में कहा गया, “नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के मार्गदर्शन में यह अभियान 10 दिसंबर, 2024 को मानवाधिकार दिवस के अवसर पर शुरू किया गया।”
याचिका में विशेष अभियान के तहत नालसा द्वारा चिह्नित व्यक्तियों को संबंधित सुनवाई अदालत की संतुष्टि के अधीन रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की गई है।
नालसा ने कहा कि याचिका में जेल सांख्यिकी भारत (पीएसआई) 2022 के हवाले से आंकड़ों का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार 20.8 प्रतिशत दोषियों (27,690 कैदी) और 10.4 प्रतिशत विचाराधीन कैदियों (44,955 कैदी) की आयु 50 वर्ष और उससे अधिक है।
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