नदी में बहते मिले 15 और माओवादियों के शव, 19 महिला और 18 पुरूष, गढ़चिरौली में अब तक 37

नदी में बहते मिले 15 और माओवादियों के शव, 19 महिला और 18 पुरूष, गढ़चिरौली में अब तक 37

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  • Publish Date - April 25, 2018 / 02:04 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

रायपुर/गढ़चिरौली। छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र सीमा के गढ़चिरौली जिले में मारे गए माओवादियों की तादाद लगातार बढ़ रही है। सुरक्षा बलों ने मंगलवार को इंद्रावती नदी में 15 और नक्सलियों के बहते शवों को बरामद किया है। इसके साथ ही मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या 37 पहुंच गई है।

सुरक्षाबलों ने सोमवार को जिमलगट्टा-रामाराम खांदला जंगल में हुई मुठभेड़ में 6 नक्सलियों को मार गिराया था। इनके शव बरामद कर लिए गए हैं। इससे पहले जिला पुलिस ने गढ़चिरौली से नक्सली आंदोलन को खत्म करने के लिए रविवार को मुठभेड़ में 16 नक्सली मार गिराए थे।इधर, छत्तीसगढ़ के दोरनापाल में मंगलवार को सीआरपीएफ की 217वीं बटालियन और डीजी टीमने 10 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें उनका सरगना भी शामिल है।

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22 अप्रैल को ताड़गांव-कसनासुर के जंगल में जवानों के साथ नक्सलियों के बीच बड़ा एनकाऊंटर हुआ था। जिसमें 16 नक्सली ढेर हे थे। बारिश और रात होने से सर्च अभियान रोक दिया गया। दो दिन बाद खोजबीन फिर शुरू हुई तो इंद्रावती में 15 नक्सलियों के शव मिले। इनमें 7 पुरुष और 8 महिला नक्सली हैं।

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जबकि इसके दूसरे दिन जिमलगट्‌टा के नैनेर जंगल में मुठभेड़ हुई। जिसमें 6 नक्सली मारे गए।  मारे गए 4 महिला व 2 पुरुष में से 5 की शिनाख्त हो चुकी है। इन पर कुल 30 लाख रुपए का इनाम था। इनका प्रमुख अहेरी दलम का नंदू उर्फ विक्रम उर्फ वासुदेव बताया गया। पश्चिम बस्तर की क्रांति, अहेरी दलम की उप-कमांडर लता उर्फ माधुरी, पेरमिली दलम सदस्य कार्तिक उइके, जयशिला गावड़े मारे गए।

 

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इस तरह कुल 37 नक्सली पुलिस ने मार गिराए। 37 में से 19 महिलाएं व 18 पुरुष थे, 16 की पहचान हो गई है। सभी मिलाकर कुल 1 करोड़ 6 लाख रुपए के इनामी थे। मुठभेड़ में सी-60 फोर्स ने नक्सलियों को मार गिराया। सी-60 यानी क्रैक 60, जिसका गठन एटीएस चीफ केपी रघुवंशी ने 27 साल पहले किया था। नक्सली आज किसी से सबसे ज्यादा डरते हैं तो इसी फोर्स से। मुठभेड़ वाली जगह से पुलिस को 12-बोर के जिंदा कारतूस मिले हैं। सर्च ऑपरेशन के लिए टीम गठित कर भेजी गई है। कुछ नक्सली नदी में कूद गए थे, इसलिए उन्हें तभी ट्रेस किया जा सकता था, जब उनके शव पानी के ऊपर आते।