नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार द्वारा नए श्रम कानूनों को लागू किए जाने की सराहना करते हुए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मनमोहन ने बृहस्पतिवार को कहा कि नए कानूनों को निष्पक्षता और समानता की भावना से लागू करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये भविष्य से संबंधित हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और ‘सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स’ (एसआईएलएफ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘डिकोडिंग द कोड्स – कॉन्फ्रेंस ऑन फोर लेबर कोड्स’ को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि देश के श्रम सुधारों के कार्यान्वयन में स्पष्टता, एकरूपता और संस्थागत तैयारियों की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रम की गरिमा केवल एक नारा न होकर हमारे वैधानिक ढांचे का हिस्सा हो। सौ साल पुराने कानूनों का समय बीत चुका है। वे इतिहास का हिस्सा हैं। ये नए कानून हमारे भविष्य के लिए हैं। आइए, इन्हें निष्पक्षता और समानता की भावना से लागू करें, जिसके ये हकदार हैं।’’
चार श्रम संहिताएं वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 गत 21 नवंबर को अधिसूचित की गई हैं। इनके जरिये 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘भारत के कई श्रम कानून, जिनमें 1926 और 1936 के कानून भी शामिल हैं, पुराने हो चुके हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा रोजगार के नए रूपों जैसी समकालीन वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं रह गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि नए सुधारों से अनुपालन सरल हो जाएगा और परिचालन में अधिक लचीलापन आएगा, जिसमें छंटनी और कर्मचारियों की कटौती के मामलों में सरकार की पूर्व स्वीकृति की सीमा को बढ़ाना शामिल है।
भाषा
देवेंद्र नेत्रपाल
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