नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों के लिए ‘मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति’ योजना को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस योजना का उद्देश्य उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाना है तथा योजना को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने बताया कि इसे वर्तमान में मंत्रिमंडल और व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित वित्त पोषण एवं पात्रता मापदंडों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक वैध रहेगी।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए केंद्र-राज्य वित्तपोषण पैटर्न अलग-अलग हैं।
अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए, केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में लागत साझा की जाती है, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में यह 90:10 है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्यम से छात्रों के आधार से जुड़े बैंक खातों में सीधे केंद्रीय अंशदान जारी करता है, लेकिन राज्य द्वारा अपने हिस्से का 40 प्रतिशत अंशदान वितरित करने के बाद ही ऐसा किया जाता है।
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए, केंद्र और राज्यों के बीच निधि-साझाकरण अनुपात 75:25 है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय 75 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेशों को जारी करता है, जो शेष 25 प्रतिशत का योगदान करते हैं और पूरी राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से एक ही किस्त में छात्रों को हस्तांतरित करते हैं।
भाषा सुभाष वैभव
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