नफरत भरे भाषण की हर घटना पर कानून बनाने या निगरानी रखने को तैयार नहीं: न्यायालय

नफरत भरे भाषण की हर घटना पर कानून बनाने या निगरानी रखने को तैयार नहीं: न्यायालय

नफरत भरे भाषण की हर घटना पर कानून बनाने या निगरानी रखने को तैयार नहीं: न्यायालय
Modified Date: November 25, 2025 / 04:25 pm IST
Published Date: November 25, 2025 4:25 pm IST

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह देश भर में घृणा भाषण की हर घटना पर कानून बनाने या उस पर निगरानी रखने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि इसके लिए कानूनी उपाय, पुलिस थाने और उच्च न्यायालय मौजूद हैं।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने की, जो एक खास समुदाय के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के कथित आह्वान का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस याचिका के मद्देनजर कानून नहीं बना रहे हैं। निश्चिंत रहें, हम इस देश के किसी भी इलाके में होने वाली हर छोटी घटना पर कानून बनाने या उस पर निगरानी करने के लिए तैयार नहीं हैं। उच्च न्यायालय हैं, पुलिस थाने हैं, कानूनी उपाय हैं। वे पहले से ही मौजूद हैं।’’

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शीर्ष अदालत ने शुरू में आवेदक से कहा था कि वह अपनी शिकायत के साथ संबंधित उच्च न्यायालय जाए।

पीठ ने आवेदक की ओर से मामले में पेश हुए वकील से कहा, ‘‘यह अदालत पूरे देश में ऐसे सभी मामलों पर कैसे नजर रख सकती है? आप अधिकारियों से संपर्क करें। उन्हें कार्रवाई करने दें, नहीं तो उच्च न्यायालय जाएं।’’

वकील ने कहा कि उन्होंने एक लंबित रिट याचिका में एक आवेदन दाखिल किया है जिसमें घृणा भाषण का मुद्दा उठाया गया है।

अदालत में उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जनहित किसी एक धर्म विशेष तक सीमित नहीं रह सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी धर्मों में नफरत भरे अनेक भाषण दिये जा रहे हैं। मैं उस बारे में विवरण अपने मित्र (आवेदक) को दे दूंगा।’’

आवेदक के वकील ने कहा कि वह इस मामले को अदालत के संज्ञान में लाए हैं क्योंकि अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।

भाषा वैभव माधव

माधव


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