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कोलकाताः SarkarOnIBC24: क्या वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा ममता बनर्जी के लिए फांस बनेगी? क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है? ये सवाल इसलिए क्यों कि बीजेपी लगातार राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है..हालांकि ममता सरकार कोलकाता हाईकोर्ट में मुर्शिदाबाद हिंसा पर अपनी रिपोर्ट पेश कर हालात को कंट्रोल में बता चुकी है लेकिन गर्वनर के मालदा और मुर्शिदाबाद दौरे ने बंगाल में एक बार फिर सियासी पारा हाई कर दिया है।
SarkarOnIBC24: वक्फ कानून के विरोध में बंगाल में भड़की हिंसा को लेकर सियासत जारी है। सत्तापक्ष और विपक्ष इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप की सियासत के बीच राज्यपाल सीवी आनंद बोस पहले मालदा फिर मुर्शिदाबाद के दौरे पर रहे। मुर्शिदाबाद दौरे पर राज्यपाल आनंद बोस ने पीड़ितों से मुलाकात की और रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने की बात कही, जबकि ममता बनर्जी ने राज्यपाल से मुर्शिदाबाद नहीं जाने की अपील की थी, लेकिन गर्वनर ने ममता की अपील को दरकिनार करते हुए हिंसाग्रस्त इलाकों में पहुंचे। गर्वनर के साथ-साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने भी प्रभावित इलाकों का दौरा किया. इस दौरान टीम ने घटनास्थल का जायजा लिया और पीड़ितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। NCW की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने मौके की स्थिति को गंभीर बताया। उन्होंने इस बारे में कहा, यहां बहुत ज्यादा हो गया. ये सब अमानवीय है. लोगों को तकलीफ हो रही है। उनकी मांगों को हम सरकार के सामने रखेंगे।
पश्चिम बंगाल में हिंसा से भड़की सियासी आग मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की राजनीति को भी झुलसा रही है। भले ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की हैं, लेकिन ये भी सच है कि भड़की हिंसा के बाद ममता बनर्जी चौतरफा घिरती नजर आ रही है। बीजेपी पहले से ही आक्रामक है और गर्वनर और राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम रिपोर्ट तैयार करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या मुर्शिदाबाद हिंसा अब ममता के लिए गले की फांस बन रही है। सवाल ये भी कि क्या रिपोर्ट में खामियां मिलने पर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगेगा?