नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) ‘नेशनल प्लेटफॉर्म फोर राइट्स ऑफ द डिसएबल्ड’ (एनपीआरडी) ने बुधवार को दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) नियमों में हाल में किए गए संशोधनों का विरोध करते हुए दावा किया कि इससे दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिक जटिल हो जाएगी।
दिव्यांग लोगों के अधिकार से जुड़े संगठन ने एक बयान में संशोधनों को ‘‘प्रतिगामी’’ कहा और चेतावनी दी कि ये दिव्यांग लोगों के लिए अधिक बाधाएं उत्पन्न करेगा तथा आवश्यक सेवाओं एवं अधिकारों तक उनकी पहुंच में बाधा बनेगा।
एनपीआरडी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने की समय-सीमा को एक महीने से बढ़ाकर तीन महीने करने सहित नए नियमों से मौजूदा देरी और बढ़ जाएगी।
मानवाधिकार संगठन ने उस प्रावधान की भी आलोचना की है, जिसके तहत यदि किसी आवेदक का अनुरोध दो वर्षों तक अनिर्णीत रहता है तो उसे निष्क्रिय मान कर फिर से आवेदन करने के लिए बाध्य किया जाता है। संगठन ने इसे ‘‘अस्वीकार्य’’ तथा प्रणाली की विफलताओं के लिए एक अन्यायपूर्ण सजा बताया।
इसके अलावा उन्होंने प्रमाण पत्रों के लिए आवेदन करने को विशिष्ट दिव्यांगता पहचान (यूडीआईडी) पोर्टल के अनिवार्य उपयोग पर चिंता जताई और तर्क दिया कि इससे कई आवेदकों के लिए और अधिक बाधाएं उत्पन्न होंगी।
सरकार ने नए संशोधन नियमों को लागू करते हुए कहा कि इससे दिव्यांग प्रमाण पत्र और यूडीआईडी कार्ड के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
एनपीआरडी के अनुसार, ये संशोधन जवाबदेही और पारदर्शिता अभाव जैसे मुद्दों के मूल कारणों को संबोधित नहीं करते हैं, जो पूजा खेडकर मामले में स्पष्ट रूप से सामने आए थे।
धोखाधड़ी करने और सरकारी सेवा में चयन सुनिश्चित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांग आरक्षण कोटे का गलत तरीके से लाभ उठाने के आरोप में केंद्र सरकार ने सितंबर में खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से बर्खास्त कर दिया था।
भाषा यासिर प्रशांत
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