नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) ने देशभर में 50 “संवेदनशील” प्रतिष्ठानों की टोह ली है और उनका 3डी मानचित्र तैयार किया है, जिनमें धार्मिक स्थल एवं परमाणु ऊर्जा सुविधाएं भी शामिल हैं। यह कदम आतंकवादियों की ओर से इन जगहों को निशाना बनाए जाने की सूरत में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की तैयारियों के तहत उठाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिन प्रमुख धार्मिक स्थलों की टोह ली गई है और उनका 3डी मानचित्र तैयार किया गया है, उनमें अयोध्या स्थित राम मंदिर, जम्मू में माता वैष्णो देवी मंदिर और दिल्ली का अक्षरधाम मंत्री शामिल हैं।
एनएसजी के महानिदेशक (डीजी) बी. श्रीनिवासन के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कमांडो बल ‘ब्लैक कैट्स’ ने भी अहम भूमिका निभाई थी, जिसके बम निरोधक दस्ते ने जम्मू हवाई अड्डे पर “विस्फोटक पेलोड से लैस” ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया था।
श्रीनिवासन ने एनएसजी के 23वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान यह जानकारी दी। इस दो-दिवसीय सम्मेलन का विषय “आतंकवादी खतरों का मुकाबला करने और आधुनिक आतंकवाद की जटिलताओं से निपटने के लिए नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देना” है।
अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एनएसजी की टीम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान से आए ड्रोन का मलबा और कामिकेज ड्रोन भी बरामद किए।
भारतीय सशस्त्र बलों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।
एनएसजी की स्थापना 1984 में की गई थी। इसके ‘ब्लैक कैट’ कमांडो को उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा के अलावा विशिष्ट आतंकवाद-रोधी और अपहरण-रोधी अभियान के संचालन का काम सौंपा गया है।
श्रीनिवासन ने कहा, “हमने देशभर में विभिन्न संवेदनशील ठिकानों की टोह ली है, जिनमें 17 धार्मिक स्थल, 21 परमाणु सुविधाएं और 14 अन्य ऐसे प्रतिष्ठान शामिल हैं। इन स्थलों का 3डी मानचित्र भी तैयार किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि कि बल के कमांडो को हवा, जमीन या पानी के रास्ते किसी भी स्थान पर तेजी से और समयबद्ध तरीके से पहुंचने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
श्रीनिवासन के अनुसार, आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया समय में तेजी लाने के लिए कमांडो कम उपकरणों के साथ चलने का अभ्यास कर रहे हैं और ऐसी टीम (टास्क फोर्स) में कर्मियों की संख्या भी कम कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि बल ने नक्सल-रोधी अभियानों में भी भूमिका निभाई है और इसके कमांडो की एक टीम को महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में राज्य पुलिस बलों के साथ संयुक्त अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया है।
श्रीनिवासन ने कहा कि एनएसजी ने छत्तीसगढ़ में नक्सल-रोधी अभियानों के लिए तैनात प्रदेश पुलिस की जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) इकाई के साथ संयुक्त अभ्यास भी किया है।
अधिकारियों के मुताबिक, डीआरजी में शामिल कर्मियों में से लगभग 20 प्रतिशत आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली हैं, जबकि बाकी कर्मी आदिवासियों सहित अन्य स्थानीय लोग हैं।
श्रीनिवासन ने कहा, “हम एनएसजी क्लस्टर (देशभर में स्थित बल के पांच ठिकानों) को मजबूत कर रहे हैं, ताकि वे किसी भी आतंकवादी स्थिति से स्वतंत्र रूप से निपट सकें।”
दिल्ली के पास मानेसर (हरियाणा) में मुख्य छावनी के अलावा एनएसजी के मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और गांधीनगर में भी केंद्र हैं।
एनएसजी महानिदेशक ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनएसजी को विभिन्न राज्यों के पुलिस बलों को आतंकवादी हमलों एवं घटनाओं, आईईडी (परिष्कृत विस्फोटक उपकरण) और इसी तरह की स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है।
उन्होंने बताया कि इसलिए बल ने अपनी प्रशिक्षण क्षमता को पिछले साल के 8,000 कमांडो से बढ़ाकर 13,000 कर दिया है और 2025 के अंत तक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाकर 20,000 कर दी जाएगी।
श्रीनिवासन ने कहा, “हमने राज्य पुलिस के बलों के लिए आतंकवाद विरोधी, अपहरण विरोधी, बम निरोधक, वीआईपी सुरक्षा (निजी सुरक्षा अधिकारी) और सामरिक एवं ड्रोन-रोधी अभियानों में प्रशिक्षण के लिहाज से लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किए हैं।”
उन्होंने बताया कि इस साल जनवरी में कमांडो बल ने भारत के अंतर्देशीय क्रूज जहाजों का “सुरक्षा ऑडिट” भी किया था और गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी में चलने वाले इन जहाजों पर अपहरण-रोधी अभ्यास भी किया था।
श्रीनिवासन ने कहा कि एनएसजी देश में सार्वजनिक परिवहन की जीवनरेखा रेलवे पर संभावित आतंकवादी हमलों और अपहरण की घटनाओं को बेअसर करने के लिए ट्रेन हस्तक्षेप अभ्यास को भी बढ़ाने जा रहा है।
उन्होंने बताया कि एनएसजी की एक टीम ‘ऑपरेशन जोरावर’ के हिस्से के रूप में पहले से ही जम्मू-कश्मीर में तैनात है, जिसका मकसद केंद्र-शासित प्रदेश में तैनात विभिन्न सुरक्षा बलों के साथ संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना है।
श्रीनिवासन ने कहा, “हमने हाल ही में राज्य पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ मिलकर जम्मू में ऐसा अभ्यास किया था।”
उन्होंने कहा कि एनएसजी एकमात्र ऐसा बल है, जिसे विमान में अपहरण विरोधी अभियान चलाने का अधिकार है और ‘ब्लैक कैट’ कमांडो ने पिछले साल 180 ऐसे अभ्यास किए।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि भारतीय सशस्त्र बल आतंकवादी घटनाओं का बहादुरी और प्रभावी ढंग से जवाब देंगे।
राय ने कहा, “पहलगाम आतंकवादी हमले ने आतंकवाद के खिलाफ हमारे संकल्प को कमजोर नहीं किया है, बल्कि और मजबूत किया है।”
भाषा पारुल सुरेश
सुरेश
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