भारत में 15 मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक हो सकती है : आईआईटी वैज्ञानिक

भारत में 15 मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक हो सकती है : आईआईटी वैज्ञानिक

भारत में 15 मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक हो सकती है : आईआईटी वैज्ञानिक
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: April 23, 2021 10:07 am IST

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के वैज्ञानिकों ने अपने गणितीय मॉडल के आधार पर अनुमान लगाया है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर 11 से 15 मई के बीच चरम पर होगी और उस समय देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक पहुंच सकती है और इसके बाद मई के अंत तक मामलों में तेजी से कमी आएगी।

भारत में शुक्रवार को एक दिन में संक्रमण के 3,32,730 (3.32 लाख) नए मामले आए जबकि 2263 लोगों की मौत हुई। इसके साथ ही देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 24,28,616 हो गई है।

आईआईटी कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने एप्लाइड दस ससेक्टिबल, अनडिटेक्ड, टेस्टड (पॉजिटिव) ऐंड रिमूव एप्रोच (सूत्र) मॉडल के आधार पर अनुमान लगाया है कि मामलों में कमी आने से पहले मध्य मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 10 लाख तक की वृद्धि हो सकती है।

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वैज्ञानिको का कहना है कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना नए मामलों के संदर्भ में 25 से 30 अप्रैल के बीच नयी ऊचांई छू सकते हैं जबकि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ संभवत: पहले ही नए मामलों के संदर्भ में चरम पर पहुंच गए हैं।

आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने पाया कि 11 से 15 मई के बीच उपचाराधीन मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की तार्किक वजह है और यह 33 से 35 लाख हो सकती है। यह तेजी से होने वाली वृद्धि है लेकिन उतनी तेजी से ही नए मामलों भी कमी आने की संभावना है व मई के अंत तक इसमें नाटकीय तरीके से कमी आएगी।’’

वैज्ञानिकों ने अब तक इस अनुसंधान पत्र को प्रकाशित नहीं किया है और उनका कहना है कि सूत्र मॉडल में कई विशेष पहलू हैं जबकि पूर्व के अध्ययनों में मरीजों को बिना लक्षण और संक्रमण में विभाजित किया गया था। नए मॉडल में इस तथ्य का भी संज्ञान लिया गया है कि बिना लक्षण वाले मरीजों के एक हिस्से का पता संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की जांच या अन्य नियमों के द्वारा लगाया जा सकता है।

इस महीने की शुरुआत में गणितीय मॉडल के माध्यम से अनुमान लगाया गया था कि देश में 15 अप्रैल तक संक्रमण की दर अपने चरम पर पहुंच जाएगी लेकिन यह सत्य साबित नहीं हुई।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘ मौजूदा चरण के लिए हमारे मॉडल के मापदंड लगातार बदल रहे हैं, इसलिए एकदम सटीक आकलन मुश्किल है। यहां तक कि रोजाना के मामलों में मामली बदलाव से चरम की संख्या में हजारों की वृद्धि कर सकते हैं।’’

अग्रवाल ने बताया कि महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए मॉडल में तीन मापदंडो का इस्तेमाल किया गया है। पहला बीटा या संपर्क, जिसकी गणना इस आधार पर की जाती है कि एक व्यक्ति ने कितने अन्य को संक्रमित किया।

उन्होंने बताया कि दूसरा मापदंड है कि महामारी के प्रभाव क्षेत्र में कितनी आबादी आई, तीसरा मापदंड पुष्टि हुए और गैर पुष्टि हुए मामलों का संभावित अनुपात है।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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