Obscene content will be banned on OTT | Joint Secretary of Ministry

OTT पर अश्लील कंटेंट पर लगाई जाएगी लगाम, IIMC के आयोजन में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव की दो टूक

Obscene content will be banned on OTT Joint Secretary of Ministry of Information and Broadcasting bluntly in organizing IIMC OTT पर अश्लील कंटेट पर लगाई जाएगी लगाम, IIMC के आयोजन में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव की दो टूक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : August 18, 2021/6:09 pm IST

नई दिल्ली, 18 अगस्त। ”डिजिटल मीडिया आचार संहिता 2021 के केंद्र में आम नागरिक हैं। आचार संहिता का उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखते हुए ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाली सामग्री की गुणवत्ता को बनाए रखना है।” यह विचार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विक्रम सहाय ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा ‘डिजिटल मीडिया आचार संहिता 2021’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। कार्यक्रम में संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरपाड, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा एवं आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह विशेष तौर पर उपस्थिति थे।

विक्रम सहाय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल मीडिया की भूमिका काफी बढ़ी है। छह वर्षों में इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल 43 गुना तक बढ़ चुका है। भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ ओटीटी मार्केट है। वर्ष 2024 तक इस मार्केट के 28.6% की वार्षिक वृद्धि के साथ 2.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कंटेट को लेकर शिकायतें मिल रही थीं, जिसके कारण डिजिटल मीडिया आचार संहिता बनाई गई है।

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सहाय ने बताया कि भारत में 35 वर्ष से कम आयु के लोग ऑनलाइन समाचार पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इन न्यूज वेबसाइ्टस पर लोग 41% ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं। सहाय ने कहा कि समाचार पत्रों के लिए भारतीय प्रेस परिषद और टीवी न्यूज के के लिए केबल टीवी नेटवर्क अधिनियम, 1995 जैसे कंटेंट रेगुलेटर्स हैं, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर समाचारों के लिए ऐसा कोई विनियमन नहीं है। ओटीटी के मामले में भी कुछ ऐसा ही है।

संयुक्त सचिव ने स्पष्ट किया कि डिजिटल मीडिया आचार संहिता का उद्देश्य महिलाओं के लिए आपत्तिजनक एवं बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री के प्रसारण पर अंकुश लगाना है। इसके लिए समाचार प्रकाशकों, ओटीटी प्लेटफॉर्म और कार्यक्रम प्रसारकों को अपने यहां एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और इन शिकायतों की जानकारी भी प्रदर्शित करनी होगी। समाचार प्रकाशकों को एक नियामक संस्था का सदस्य भी बनना होगा, ताकि कार्यक्रम से संबंधित शिकायतों का निपटारा हो सके। इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक अंतर-मंत्रालय समिति का गठन करेगा, जो समाचार प्रकाशक या नियामक संस्था द्वारा न सुलझाई गई शिकायतों का निपटारा करेगी।

सहाय ने बताया कि अब तक लगभग 1800 समाचार प्रकाशकों ने मंत्रालय को अपने बारे में सूचना दी है। मंत्रालय किसी भी न्यूज पोर्टल या ओटीटी प्लेटफॉर्म का पंजीकरण नहीं कर रहा है, बल्कि इनके बारे में जानकारी जुटाने का उद्देश्य यह है कि कार्यक्रम के बारे में कोई शिकायत मिलने पर उनसे संपर्क किया जा सके। उन्होंने कहा कि आचार संहिता का उद्देश्य समाचार प्रकाशकों और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को उन नियमों के बारे में जागरुक करना है, जिनके पालन से देश की एकता, अखंडता एवं सौहार्द कायम रह सके।
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कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर संगीता प्रणवेंद्र ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन आउटरीच विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने किया। इस विशेष व्याख्यान में भारतीय जन संचार संस्थान के सभी केंद्रों के प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के मीडिया शिक्षकों, पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों ने भी हिस्सा लिया।

 

 

 

 

 
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