नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए स्वीकृत विशेष विद्यालयों में से लगभग एक तिहाई विद्यालय अधूरे भवन निर्माण के कारण बंद हैं।
सरकार ने बताया कि भूमि की अनुपलब्धता, अतिक्रमण, कानूनी विवाद और वन भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं मिलने के कारण भवनों का निर्माण नहीं हो सका है।
सरकार ने दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी बच्चों को कक्षा छह से 12वीं तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 728 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय बनाने का लक्ष्य रखा है, ताकि उन्हें समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके।
जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने कांग्रेस अध्यक्ष एवं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इनमें से 721 को मंजूरी दी गई है और 477 चालू हो गए हैं तथा शेष बंद हैं।
उइके ने कहा कि इन स्कूलों के चालू होने में देरी का मुख्य कारण भवनों का निर्माण पूरा नहीं होना है, क्योंकि राज्यों ने अभी तक अतिक्रमण से मुक्त उपयुक्त भूमि उपलब्ध नहीं कराई है।
उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के अलावा अन्य कारणों में वन भूमि का उपयोग करने की अनुमति मिलने में काफी देरी, पहचान की गई भूमि पर कानूनी विवाद और पहुंच मार्ग की अनुपलब्धता शामिल हैं।
उइके ने कहा कि प्रत्येक ऐसे विद्यालय में अधिकतम 480 छात्र रह सकते हैं, जिसमें 31 स्वीकृत शिक्षक पद हैं, यानी औसत छात्र-शिक्षक अनुपात 15.5 अनुपात 1 है।
भाषा अविनाश नरेश
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