‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस वर्ष आतंकवाद रोधी प्रतिक्रिया में भारत के नये मानक स्थापित किये

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस वर्ष आतंकवाद रोधी प्रतिक्रिया में भारत के नये मानक स्थापित किये

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  • Publish Date - December 31, 2025 / 07:06 PM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 07:06 PM IST

(मानस प्रतिम भुइयां)

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पिछली आधी सदी में भारतीय सेना का सबसे व्यापक और बहु-आयामी सैन्य अभियान रहा जिसका उद्देश्य सीमा-पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को सबक सिखाना था। इसने 2025 में भारत के समग्र सुरक्षा और रणनीतिक लक्ष्यों को नये सिरे से परिभाषित किया, जिससे यह रक्षा प्रतिष्ठान के लिए एक महत्वपूर्ण साल बन गया।

भारत ने सात मई की तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक मिसाइल हमले किये, जिसमें कम से कम 100 आतंकवादी मारे गये।

यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में की गई थी। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गये थे।

नयी दिल्ली की इस कार्रवाई को व्यापक रूप से आतंकवाद को समर्थन देने वाले पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए उसकी ‘‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’’ के प्रदर्शन के रूप में देखा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत इस्लामाबाद द्वारा किसी भी प्रकार की परमाणु धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा।

भारतीय सेना ने जिन आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, उनमें बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का मुख्यालय, मुरीदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा और सियालकोट के महमूना जोया, मुजफ्फरबाद के सवाई नाला और सैयद ना बिलाल, कोटली के गुलपुर और अब्बास, भीमबर के बरनाला और सरजल में स्थित आतंकी ढांचे शामिल थे।

आतंकी ढांचे पर हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को सूचित किया कि वह संघर्ष की स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहता और उसका अभियान आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर चलाया गया था।

लेकिन जैसे ही पाकिस्तान ने सैन्य जवाबी कार्रवाई शुरू की, भारत ने एकीकृत मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली, बराक-8 मिसाइल, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों समेत कई हथियारों और सैन्य प्लेटफार्म का इस्तेमाल करके इसका बहुत मजबूती से जवाब दिया।

भारतीय सेना ने कम से कम चार स्थानों पर स्थित रडारों, दो स्थानों पर स्थित कमान एवं नियंत्रण केंद्रों और दो हवाई अड्डों पर स्थित रनवे समेत कई महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया।

इस सैन्य अभियान ने व्यापक रूप से तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल को उजागर किया और ड्रोन तथा ड्रोन रोधी प्रणालियों से युक्त नये युग के युद्ध की शुरुआत को प्रदर्शित किया।

दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारियों के बीच ‘हॉटलाइन’ पर हुई बातचीत के बाद 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के साथ संघर्ष समाप्त हो गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई को कहा था, ‘‘हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य शिविरों के खिलाफ अपनी जवाबी कार्रवाई को फिलहाल स्थगित कर दिया है। आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान के हर कदम को इस मानदंड पर परखेंगे कि पाकिस्तान आगे किस तरह का रवैया अपनायेगा।’’

आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के नये दृष्टिकोण को विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत किसी भी प्रकार की परमाणु धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा और नया दृष्टिकोण आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार और आतंकवाद के साजिशकर्ताओं के बीच कोई भेद नहीं करेगा।

मोदी ने कहा था, ‘‘यदि पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बनाए रखना है, तो उसे अपने आतंकी ढांचे को नष्ट करना होगा। शांति का कोई और रास्ता नहीं है। भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है।’’

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि इसने भारत की सैन्य और रणनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया।

रक्षा मंत्रालय के एक विश्लेषण के अनुसार, इस बहु-आयामी अभियान के जरिये आतंकवादी खतरों को प्रभावी ढंग से बेअसर कर दिया गया, पाकिस्तानी आक्रामकता को रोका गया और आतंकवाद के प्रति भारत की कतई सहन नहीं करने की नीति को दृढ़ता से लागू किया।

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने तीन अक्टूबर को कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हमलों में एफ-16 जेट सहित कम से कम 12 पाकिस्तानी सैन्य विमान नष्ट हो गए या क्षतिग्रस्त हुए।

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष में विमान के नुकसान की बात 31 मई को स्वीकार की थी, लेकिन छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के इस्लामाबाद के दावे को ‘‘बिल्कुल गलत’’ बताया था।

वर्ष 2025 के दौरान, लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा कर रही भारतीय सेना ने आक्रामक रुख अपनाया और सीमा के चीनी हिस्से पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए अपने समग्र निगरानी तंत्र को मजबूत किया।

इस वर्ष भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में और उसके आसपास अपनी मजबूत मौजूदगी बनाए रखते हुए महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र में अपनी रणनीतिक ताकत का विस्तार किया।

एक महत्वपूर्ण घोषणा में, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने हाल में कहा था कि तीसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी ‘अरिदमन’ जल्द ही सेवा में शामिल की जाएगी क्योंकि यह परीक्षणों के अंतिम चरण में है।

एक अन्य महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत और फ्रांस ने अप्रैल में एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ पर तैनाती के लिए 64,000 करोड़ रुपये (7 अरब यूरो) की लागत से 26 राफेल समुद्री जेट खरीदने का एक बड़ा सौदा हुआ।

इस वर्ष रक्षा मंत्रालय ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ के तहत लगभग 70,000 करोड़ रुपये की लागत से छह स्टील्थ पनडुब्बियों की खरीद की प्रक्रिया में तेजी लाया।

दो महीने पहले, भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को विस्तार देने के लिए 10 साल के रक्षा ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें दोनों पक्षों ने एक स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया था।

इस वर्ष के दौरान, भारत ने ‘अग्नि’ मिसाइलों समेत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हथियारों का सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया।

भारत ने अगस्त में 5,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली ‘अग्नि-5’ मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।

अग्नि-5 मिसाइल चीन के उत्तरी भाग समेत लगभग पूरे एशिया के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों को भी अपनी मारक क्षमता के दायरे में ला सकती है।

भाषा देवेंद्र रंजन

रंजन