Amit Shah in Parliament: ‘SIR पर झूठ फैला रहा है विपक्ष’.. लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने साधा निशाना, कहा- नेहरू के दौर में हुआ पहला SIR

Opposition is spreading lies about SIR Home Minister Amit Shah targeted him in the Lok Sabha

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 05:37 PM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 05:41 PM IST

Parliament Monsoon Session | Photo Credit: IBC24 Archive

नई दिल्लीः Amit Shah in Parliament: मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को लेकर बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि SIR पर विपक्ष झूठ फैला रहा है। देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। शाह ने कहा कि विपक्ष का काम हमको करना पड़ रहा है। चुनाव सुधार की जगह विपक्ष ने ज्यादातार बातें SIR पर कीं। जैसी चर्चा की, अब मैं उस पर जवाब दे रहा हूं। SIR पर विपक्ष ने 4 महीने से एक तरफा झूठ फैलाया। उन्होंने कहा कि SIR 3 बार नेहरू, 1-1 बार इंदिरा-अटल के कार्यकाल में हुआ। तब किसी दल ने विरोध नहीं किया।

Amit Shah in Parliament: अमित शाह ने कहा कि 2 दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। लोगों के बीच इस तरह का संदेश देने की कोशिश की गई कि हम चर्चा नहीं चाहते। हम बीजेपी और एनडीए के लोग डिबेट से कभी नहीं भागे। संसद सबसे बड़ी पंचायत है। चर्चा के लिए हमने ना कहा, इसके पीछे भी कारण थे। उन्होंने बताया कि विपक्ष की डिमांड थी एसआईआर पर चर्चा की। यह चुनाव आयोग का काम है। इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा। जब ये चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए तैयार हुए, हमने दो दिन चर्चा की।अमित शाह ने कहा कि चर्चा तय हुई चुनाव सुधार पर, लेकिन विपक्ष के सदस्यों ने एसआईआर पर ही बोला। जवाब तो मुझे देना पड़ेगा। मैंने पहले के भी सभी एसआईआर का गहन अध्ययन किया है और कांग्रेस की ओर से फैलाए गए झूठ का अपने तर्कों के हिसाब से जवाब देना चाहता हूं। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है।

अमित शाह ने कहा, चर्चा के लिए तय समय से ज्यादा समय लिया गया है। विपक्ष इसमें शामिल हुई। चुनाव सुधार की जगह विपक्ष ने ज्यादातार SIR पर की। जैसी चर्चा की। अब मैं उस पर जवाब दे रहा हूं। SIR पर विपक्ष ने 4 महीने से एकतरफा झूठ फैलाया। जनता को गुमराह किया। शाह ने कहा, मैंने SIR का गहन अभ्यास किया है। कांग्रेस ने जो झूठ फैलाया है। मैं उसका मेरे तर्कों से जवाब देना चाहता हूं। चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है। संविधान के अंदर आयोग का गठन, मतदाता की परिभाषा इसकी लिस्ट सुधार की शक्तियों का स्पष्ट प्रावधान संविधान में किए गए हैं। जब ये हुआ तब हमारी पार्टी नहीं बनी थी। इन लोगों ने ही इस पर चर्चा करके ये प्रावधान बनाए। आज की स्थिति में पर मैं जवाब दे रहा हूं। फ्री एंड फेयर चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है।