हंगामे के बाद विपक्ष का राज्यसभा से बहिर्गमन, नड्डा ने इसे ‘गैर जिम्मेदाराना’ रवैया बताया

हंगामे के बाद विपक्ष का राज्यसभा से बहिर्गमन, नड्डा ने इसे ‘गैर जिम्मेदाराना’ रवैया बताया

हंगामे के बाद विपक्ष का राज्यसभा से बहिर्गमन, नड्डा ने इसे ‘गैर जिम्मेदाराना’ रवैया बताया
Modified Date: March 10, 2025 / 01:02 pm IST
Published Date: March 10, 2025 1:02 pm IST

नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) विपक्ष दलों ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर सोमवार को राज्यसभा में हंगामा किया और आसन की ओर से इन मुद्दों पर कार्यस्थगन नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग खारिज किए जाने के बाद उच्च सदन से बहिर्गमन किया।

सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों के इस व्यवहार की निंदा की और आसन से आग्रह किया कि वह नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सदस्यों को ‘रिफ्रेशर’ कोर्स करवाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते वे नियमों के तहत हों।

कार्यवाही आरंभ होते ही उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) क्रमांक के दोहराव, परिसीमन, भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिका से धन दिये जाने सहित कुछ मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत 12 नोटिस मिले हैं।

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उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।

इसके बाद कांग्रेस और तृणमूल के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों आसन के निकट आ गए और हंगामा करने लगे। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य आसन के निकट आकर लोकसभा सीटों के परिसीमन से दक्षिण के राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव के मुद्दे पर हंगामा कर रहे थे।

उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने की अनुमति दी। खरगे ने अभी उन्होंने बोलना शुरु ही किया था कि हरिवंश ने कहा कि वह खारिज किए जा चुके नोटिस से सबंधित मुद्दे नहीं उठा सकते।

इसके बाद विपक्षी सांसदों ने कुछ देर तक विरोध प्रदर्शन किया और फिर सदन से बहिर्गमन किया।

नड्डा ने बहिर्गमन को विपक्ष का ‘गैर जिम्मेदाराना व्यवहार’ करार दिया और सुझाव दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सहित विपक्षी सांसदों को सदन के नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए।

उन्होंने सभापति के विस्तृत फैसले के बावजूद नियम 267 के तहत विपक्षी सांसदों द्वारा नोटिस देने की प्रथा को ‘संसद की संस्था को नीचा दिखाने का शातिर इरादा’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें बहस में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे यह आभास देना चाहते हैं कि सरकार सवालों के जवाब नहीं देना चाहती है या बहस से बचना चाहती है।’’

नड्डा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस सदन में किसी भी विषय पर चर्चा कराने को तैयार है। लेकिन सदन में बहस के लिए कुछ नियम और कानून हैं।’’

उन्होंने कहा कि सांसदों को अगले 10 दिनों में केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान अपने मुद्दों को उठाने का मौका मिलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चर्चा के लिए तैयार हैं। इसमें अल्पकालिक चर्चाओं का प्रावधान है और दीर्घावधिक चर्चाओं का भी प्रावधान है। वे (विपक्ष) नियमों को नहीं पढ़ते हैं।’’

उन्होंने विपक्षी सांसदों से कहा कि वे पहले नियमों को पढ़ें और बहस करना सीखें।

उन्होंने कहा, ‘‘यह विपक्ष का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है… एक तरह से यह संसद और लोकतंत्र को बदनाम करने का प्रयास है।’’

नेता सदन ने कहा, ‘‘उन्हें (विपक्षी सांसदों) रिफ्रेशर कोर्स करना चाहिए। उन्हें (सदन के) नियम-कायदों को समझना चाहिए। सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।’’

द्रमुक के तिरुचि एन शिवा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संतोष कुमार पी, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के वाइको, भाकपा के पी पी सुनीर और द्रमुक के पी विल्सन ने दक्षिणी राज्यों में प्रस्तावित परिसीमन के बारे में चिंताओं पर चर्चा की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य साकेत गोखले और सागरिका घोष के साथ कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और अजय माकन ने राज्यों में कई ‘डुप्लीकेट’ मतदाता पहचान पत्र जारी करने में निवार्चन आयोग की कथित चूक पर चर्चा की मांग की।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने जहां शेयर बाजार सूचकांकों में लगातार गिरावट से छोटे निवेशकों को हुए वित्तीय नुकसान पर चर्चा की मांग की, वहीं समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने भारत में मतदाता प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी फंडिंग पर दिए गए बयान पर चर्चा का आह्वान किया।

माकपा के वी शिवदासन आंगनवाड़ी और मिड-डे मील वर्कर्स के सामने आने वाले मुद्दों को उठाना चाहते थे।

संसद के बजट सत्र का पहला भाग 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला था। दूसरा भाग आज आरंभ हुआ जो चार अप्रैल तक प्रस्तावित है।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र माधव

माधव


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