चेहरा आगे किया तो मोदी के सामने कमजोर हो जाएगा विपक्ष, मुद्दों पर हो सकती है लड़ाई : मनीषा प्रियम

चेहरा आगे किया तो मोदी के सामने कमजोर हो जाएगा विपक्ष, मुद्दों पर हो सकती है लड़ाई : मनीषा प्रियम

चेहरा आगे किया तो मोदी के सामने कमजोर हो जाएगा विपक्ष, मुद्दों पर हो सकती है लड़ाई : मनीषा प्रियम
Modified Date: April 16, 2023 / 12:30 pm IST
Published Date: April 16, 2023 12:30 pm IST

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ मुलाकात और कुछ अन्य विपक्षी दलों की बैठकों के बाद 2024 के लिए विपक्षी एकजुटता के प्रयासों की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। इससे जुड़े पहलुओं पर पेश है राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम से ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब :

सवाल : क्या विपक्षी एकजुटता की कवायद आगे बढ़ती नजर आ रही है?

जवाब : अभी तो नहीं लगता है कि विपक्षी दल बहुत आगे बढ़े हैं। पहले भी कई दल साथ रहे हैं। कांग्रेस, राजद, जद(यू) पहले से साथ हैं… अतीत को देखते हुए इसमें बहुत कुछ नया नहीं दिखता। अगर नीतीश और खरगे साथ भी आ जाएं, तो फिर पश्चिम बंगाल में क्या होगा? शरद पवार ने अडाणी मामले में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की मांग पर अलग राय जाहिर की है, फिर महाराष्ट्र में एकता की क्या गारंटी होगी? नेता जरूर साथ दिखे हैं, लेकिन चुनावी बिसात पर जब तक इन चीजों का कोई असर नहीं दिखता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता।

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सवाल : नेतृत्व के सवाल पर कांग्रेस के रुख में नरमी नजर आती है, इसे आप कैसे देखती हैं?

जवाब : ऐसा दिख रहा है। अभी आगे देखना होगा कि और पार्टियों का क्या रुख रहता है, राज्यों के चुनावों में क्या नतीजे रहते हैं? यह बात तो सही है कि 2024 की लड़ाई छिड़ी हुई है। अब यह भी देखना होगा कि विपक्षी दल एकजुट होकर अडाणी समूह जैसे मुद्दों को उठाते हैं या नहीं।

जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों की कांग्रेस से सीधी लड़ाई है, वहां क्षेत्रीय दल राहुल गांधी के साथ खड़े होने से थोड़ा बचेंगे। अगर इन राज्यों में कांग्रेस और क्षेत्रीय दल एक साथ आ जाएंगे, तो भाजपा मजबूत हो जाएगी। इसलिए कांग्रेस को इन राज्यों में लड़ते भी दिखना होगा।

सवाल : विपक्षी एकजुटता की स्थिति में विपक्ष की तरफ से नेतृत्व के लिए कोई चेहरा आगे नजर आता है?

जवाब : चेहरा जैसे ही आएगा, उसकी नरेन्द्र मोदी से तुलना की जाएगी और फिर चुनाव एकतरफा नजर आएगा। विपक्ष के दल विपक्षी एकता की बात कर सकते हैं, लेकिन चेहरे की बात नहीं कर सकते। अगर वे चेहरा सामने करेंगे, तो कमजोर पड़ेंगे। वे मुद्दों के आधार पर लड़ाई लड़ सकते हैं।

सवाल : आप विपक्षी एकजुटता के प्रयासों में नीतीश कुमार की भूमिका को कैसे देखती हैं?

जवाब : नीतीश कुमार एक महत्वपूर्ण नेता हैं। वह समाजवादियों के पुराने धड़े को एकत्र कर सकते हैं, कुछ क्षेत्रीय दलों को साथ ला सकते हैं, राहुल गांधी पर भी भारी पड़ सकते हैं, उनकी छवि बड़ी है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या वह नवीन पटनायक को मना सकते हैं? वह प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी से नहीं कहा जा सकता कि आम चुनाव पर क्या असर होगा।

सवाल : विपक्षी एकजुटता और लोकसभा चुनाव पर कर्नाटक और कई अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों का क्या असर होगा?

जवाब : ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं। कर्नाटक के साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव होने हैं। भाजपा के लिए अपने शासन वाले राज्यों में सत्ता बचाने की चुनौती है, तो विपक्ष और कांग्रेस के सामने भी अच्छा प्रदर्शन करने की चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में भाजपा हार गई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव जीत गई। ऐसे में लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से बहुत कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।

भाषा

हक पारुल

पारुल


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