‘‘जी राम जी’’ विधेयक पर विपक्ष का सवाल : क्या सरकार ने सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया

‘‘जी राम जी’’ विधेयक पर विपक्ष का सवाल : क्या सरकार ने सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया

‘‘जी राम जी’’ विधेयक पर विपक्ष का सवाल : क्या सरकार ने सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया
Modified Date: December 18, 2025 / 08:41 pm IST
Published Date: December 18, 2025 8:41 pm IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि क्या उसने ‘‘जी राम जी’’ विधेयक पर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया। सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की, ताकि इस पर व्यापक विचार किया जा सके। वहीं सत्ता पक्ष ने दावा किया कि इस कानून से मनरेगा में मौजूद भ्रष्टाचार दूर होगा तथा अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को सदन में चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया।

उच्च सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून वर्ष 2005 में सर्वसम्मति से पारित किया गया था और उससे पहले इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श किया गया था। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या उसने नये विधेयक पर सहमति बनाने का कोई प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे राजनीतिक हथियार बनाकर लाया गया है।

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वासनिक ने कहा कि मनरेगा मांग आधारित योजना थी, जिसमें पूरे साल काम की गारंटी थी और इसमें केंद्र की ओर से पैसे की कोई सीमा नहीं थी, लेकिन प्रस्तावित कानून में इसे बदल दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार तीन दिन पहले कानून लेकर आती है, (और इस बारे में) किसी से कोई चर्चा नहीं करती। उन्होंने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि सरकार इतनी जल्दबाजी में क्यों है, क्या उसे सत्ता खोने का डर है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून के प्रावधानों से राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा तो ऐसे में क्या उन्हें विश्वास में लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह संघीय ढांचा के हिसाब से भी उचित कानून नहीं है। उन्होंने श्रमिकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने पर भी आपत्ति जतायी।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के समय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और मनरेगा से आम लोगों को काफी राहत मिली, लेकिन प्रधानमंत्री ने मनरेगा कानून को कांग्रेस की नाकामी का स्मारक बताया था, जबकि यह कांग्रेस की उपलब्धियां का प्रतीक है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को गांधीजी के नाम से नफरत है, इसलिए योजनाओं से उनका नाम हटा रही है, किताबों से हटा रही है, लेकिन गांधी हमेशा जिंदा रहेंगे।

उन्होंने कहा कि गांधीजी देश की मिट्टी के कण-कण में हैं। उन्होंने कहा कि गांधीजी याद दिलाते हैं कि सत्ता का मतलब सेवा है, जिससे इस सरकार को कोई मतलब नहीं है।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा की इंदुबाला गोस्वामी ने कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में खुद ही कई बार इस योजना का नाम बदल दिया था और उसने अपने हित के लिए इसका नाम मनरेगा किया था।

उन्होंने कहा कि गांधीजी ग्राम स्वराज की बात करते थे, लेकिन क्या कांग्रेस ने अपने शासनकाल में कभी इस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मनरेगा में कई गड़बड़ियां थीं, भ्रष्टाचार था। काम हुआ ही नहीं, लेकिन पैसे का भुगतान हो जाता था।

भाजपा सदस्य ने कहा कि नए कानून बनाकर भ्रष्टाचार को खत्म करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन और जीपीएस से अब लोगों को सीधे जानकारी मिलेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि नए कानून में 100 दिन के बदले 125 दिन की गारंटी दी गई है।

उन्होंने कहा कि नए कानून में राज्य सरकार की हिस्सेदारी होने से उनकी जिम्मेदारी भी होगी। उन्होंने कहा कि फसलों की बुवाई और कटाई के समय मजदूर आसानी से मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र का विकास इस कानून का मकसद है और ये सभी कार्य ग्राम पंचायतें ही करेंगी।

उन्होंने कहा कि यह कानून पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ भारत का मानक बनेगा। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने अपने लाभ के लिए गांधीजी के नाम का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि उनके सिद्धांतों को धरातल पर लागू किया। उन्होंने कहा कि इस सरकार के कारण गांव की तस्वीर बदली है और 25 करोड लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।

राजद के मनोज झा ने इस विधेयक को वापस लेने की मांग की और कहा कि कई राज्यों के संघर्ष के बाद मनरेगा कानून साकार हुआ था। उन्होंने कहा कि एक समय ‘‘हर हाथ को काम और हर काम का वाजिब दाम’’ का नारा लगता था।

उन्होंने इस विधेयक के नाम पर निशाना साधते हुए कहा कि अंग्रेजी और हिंदी शब्दों को मिलाकर तुकबंदी की गई है, लेकिन वह बेतुका दिखता है। उन्होंने कहा कि मनरेगा कानून सर्वसम्मति से आया था, लेकिन इस सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि यह सरकार राम के नाम पर खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में अधिकार वाली भावना थी और मांग आधारित कानून को आदेश आधारित कानून में बदल दिया।

भाषा अविनाश सुरेश

सुरेश


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