भारत में 200 देशों के 72,000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे: सरकार

भारत में 200 देशों के 72,000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे: सरकार

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  • Publish Date - December 3, 2025 / 06:29 PM IST,
    Updated On - December 3, 2025 / 06:29 PM IST

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि वर्तमान में लगभग 200 देशों के कुल 72,218 विदेशी छात्र भारत में अध्ययन कर रहे हैं।

शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में बताया कि प्रतिष्ठित संस्थान (आईओएफ) का दर्जा प्रदान करने के लिए शुरू की गई विश्वस्तरीय संस्थान योजना के तहत अब तक आठ सार्वजनिक संस्थानों को 6,198.99 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (क्यूएस डब्ल्यूयूआर) 2026 में भारत के 54 उच्च शिक्षण संस्थान शामिल किए गए हैं, जबकि 2014-15 में यह संख्या केवल 11 थी। उस समय केंद्र में भाजपा सरकार सत्ता में आई थी।

मंत्री ने कहा, अब क्यूएस डब्ल्यूयूआर 2026 में 54 भारतीय संस्थानों को रैंक दिया गया है।’’ उन्होंने इसे क्यूएस रैंकिंग में भारत की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी बताया।

मजूमदार ने कहा, “भारत में लगभग 72,218 विदेशी छात्र हैं। वे 200 देशों के हैं और विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययन कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों और विदेशी छात्रों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने विश्व स्तरीय संस्थान योजना शुरू की थी, ताकि सार्वजनिक और निजी श्रेणी से 10-10 उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) का दर्जा दिया जा सके और उन्हें विश्व-स्तरीय शिक्षण तथा शोध संस्थानों के रूप में विकसित किया जा सके।

अब तक 12 संस्थानों को आईओई के रूप में अधिसूचित किया जा चुका है, जिनमें आठ सार्वजनिक श्रेणी के और चार निजी श्रेणी के संस्थान शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “इस योजना के तहत केवल सार्वजनिक संस्थानों को ही धनराशि प्रदान की जाती है। योजना की शुरुआत से अब तक आठ सार्वजनिक संस्थानों के लिए लगभग 6,198.99 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।”

मंत्री ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्ष्य उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिसके लिए गुणवत्तायुक्त बुनियादी ढाँचा, शोध एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का सुदृढ़ीकरण तथा उद्योग–अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने जैसे कदम शामिल हैं।

भाषा माधव अविनाश

अविनाश