पराली जलाने का मामला: न्यायालय ने लोकुर समिति की नियुक्ति पर अपना आदेश विलंबित किया

पराली जलाने का मामला: न्यायालय ने लोकुर समिति की नियुक्ति पर अपना आदेश विलंबित किया

पराली जलाने का मामला: न्यायालय ने लोकुर समिति की नियुक्ति पर अपना आदेश विलंबित किया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:52 pm IST
Published Date: October 26, 2020 10:08 am IST

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक पड़ासी राज्यों में पराली जलाये जाने की रोकथाम के उपायों की निगरानी के बारे में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में समिति नियुक्त करने का अपना 16 अक्टूबर का आदेश सोमवार को विलंबित रख दिया।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले में केन्द्र के इस रूख पर विचार करते हुये यह आदेश दिया कि वह पराली जलाने के पहलू सहित वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिये विस्तृत कानून बना रहा है।

पीठ ने कहा कि मुद्दा सिर्फ यह है कि लोगों का प्रदूषण की वजह से दम घुट रहा है ओर यह ऐसा है जिस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।’’

 ⁠

इससे पहले, सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि केन्द्र ने इस मामले में समग्र दृष्टिकोण अपनाया है और चार दिन के भीतर प्रदूषण पर अंकुश के लिये प्रस्तावित कानून का मसौदा न्यायालय में पेश कर दिया जायेगा।

शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिये पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी और उसकी मदद के लिये एनसीसी, एनएसएस, भारत स्काउट्स और गाइड तैनात करने का आदेश दिया था।। न्यायालय ने कहा था कि वह चाहता है कि दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को सांस लेने के लिये प्रदूषण रहित स्वच्छ हवा उपलब्ध हो।

भाषा अनूप

नीरज पवनेश

पवनेश


लेखक के बारे में